कोई सपना आंखों में तैर गया है

मीनाक्षी 'नाज'
मीनाक्षी ‘नाज’
कोई सपना आंखों में तैर गया है
रोज मिलती हूं फिर भी बिखर गया है

अक्सर तो होती नहीं मुलाकातें उनसे
फिर भी एक ही चेहरा दिल में उतर गया है

आसपास होती है मेरे कितनी ही हलचल
पल पल मुझमें भी कोई संवर गया है

जिंदगी भर ढूंढ़ा है मैने जिसे
आजकल न जाने क्यूं वो बदल गया है

खुदको मेरा आइना कहता था जो बादल
वो भी नहीं बरसता जैसे संभल गया है

-मीनाक्षी ‘नाज’

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