नीमच में भाजपा को अच्छे दिन दिलाकर अलविदा हुए मंगलजी

mangl patwa– अर्जुनसिंह जायसवाल – नीमच। राजनीति क्षेत्र में गांव—गांव के कार्यकर्ताओं और भोपाल से दिल्ली तक बैठे नेताओ के दिलों में बसे मंगल पटवा आज दुनिया से अलविदा हो गए। मात्र 54 वर्ष की उम्र में उन्होंने राजनीति क्षेत्र से लेकर समाजसेवा के क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल किया। हर कार्यकर्ता और लोगों से काफी उम्मीदें थी। शनिवार को उनकी साल की सालगिरह थी और वे सुबह करीब आठ बजे कुकडेश्वर से निकले थे, कुछ मित्र मिले थे तो उनके मुंह के शब्द निकले थे कि आज मैरी शादी की सालगिरह है, शाम को पार्टी दूंगा, अभी उदयपुर जा रहा हूं, भतीजी अवनी को उदयपुर छोडना है ओर मुझे भी चेकअप कराना है। दोपहर को तो उनके मौत की खबर सुनहर हर कोई हतप्रभ रह गया।
मंगल पटवा के निधन से गांव—गांव में शोक की लहर है। हर कार्यकर्ता स्तब्ध है। उनकी आखें नम हो गई। मंगल पटवा की संगठन और जमीनी स्तर पर काफी पकड थी। जब वे जिलाध्यक्ष बने तो कई जिम्मेदारियां थी। सभी चुनाव सामने थे और इनमें भाजपा का परचम लहराने के लिए जिलाध्यक्ष मंगल पटवा ने काफी मशक्कत की। पहले विधानसभा चुनाव में तीनों सीटो पर भाजपा का कब्जा दिलाने में भरपूर मेहनत की, इसके बाद में लोकसभा, फिर नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा का ढंका बजाया। इसके बाद में नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा का भगवा लहराया। पंचायत चुनाव में भी भाजपा के अधिकांश सदस्य चुनकर आए और नगर सरकार बनी। जिला पंचायत में भाजपा की बॉडी बनने उनका महत्वपूर्ण रोल रहा। वे सारे सदस्यों को भोपाल ले गए थे और भाजपा का एक भी सदस्य टूटने नहीं दिया और अंत में भाजपा की बॉडी बनी। भाजपा को अच्छे दिन दिलाकर मंगलजी आज अलविदा हो गए। उनके निधन से जनता को भी गहरा दुख पहुंचा है।
गरोठ भानपुरा चुनाव की सीट भाजपा की झोली में जाएं, इसके लिए कई दिनों से वे मेहनत कर रहे थे। गांधीसागर—भानपुरा के करीब 17 सेक्टरों की जिम्मेदारी उन पर थी। आज सुबह कुकडेश्वर से उदयपुर के लिए वे रवाना हुए थे कई पदाधिकारी मिले। बोल रहे थे पानी की केन साथ मेैं लेकर जाओं, उन्होंने कहा कि शाम तक वापस आउंगा। तुम लोग गांधीसागर चले जाओ, वहां पर चुनावी गति​विधियों को पूरा करना। मंगलजी की गाडी खराब हो गई थी और उन्होंने सुधरवाने के लिए चालक को इंदौर भेजा था। इसलिए उनके पास चुनाव के दौरान ट्रेवल्स की कार थी, जिसमें बैठकर उदयपुर जा रहे थे।
जन्म​ दिवस नहीं मना पाए थे तो सालगिरह पर देने वाले थे पार्टी—
स्वर्गीय मंगलजी का जन्म् दिवस 4 अक्टूबर को था। उनकी तबियत उस वक्त बहुत खराब थी और पीलिया बढ गया था। कई दिनों के उपचार के बाद वे ठीक हुए थे। जन्म दिवस की पार्टी दोस्तों और चिर परिचितों को नहीं दे पाए थे तो वे शनिवार को शादी की सालगिरह पर पार्टी देने वाले थे, किन्तु खुशी मातम में बदल गई और उनकी अर्थी लौटी। उनके गृह नगर कुकडेश्वर और पूरे जिलेभर में शोक की लहर है।

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