अनुपम राजन आयुक्त जनसम्पर्क से चर्चा के बाद धरना स्थगित : शारदा

bhopalभोपाल, 2 अक्टूबर 2015। 1 अक्टूबर 2015 को श्री अनुपम राजन आयुक्त जनसम्पर्क से राधावल्लभ शारदा प्रदेश अध्यक्ष एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की पत्रकारों पर दुर्भावनावश होते प्रकरणों पर चर्चा हुई। यूनियन द्वारा 5 अक्टूबर को एक दिवसीय धरना दिया जा रहा था पर श्री राजन ने आश्वासन दिया है कि यूनियन के पास जितने पत्रकारों पर दुर्भावनावश प्रकरण दर्ज हुये है उनकी सूची दी जाये। उक्त सूची को पुलिस महानिदेशक को भेजकर समुचित कार्यवाही कराई जायेगी। गृह (पुलिस) विभाग के आदेश का अक्षरस: पालन के लिये पुलिस महानिदेशक को पत्र भेजा जायेगा तथा प्रयास यह होगा कि गृह (पुलिस) विभाग के आदेश प्रत्येक थाना स्तर तक उपलब्ध हो। सर्व प्रथम पूरे प्रदेश में जितने पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज है एकत्रित किया जाना उचित है।
अत: पत्रकार साथियों से निवेदन है कि जिन पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज है समस्त दस्तावेज बगैर किसी भेदभाव के यूनियन के मुख्यालय डाक से अथवा व्यक्तिगत रूप से आकर अतिशीघ्र जमा कराये जिससे उन पर समुचित कार्यवाही शीघ्र कराई जा सके।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर आयुक्त राजन ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की विदेश यात्रा से आने के बाद आपके द्वारा मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र पर मुख्यमंत्री से चर्चा होगी और जो मांगे आपके द्वारा उठाई गयी है उन पर अमल होगा।

मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र
प्रति,
श्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन
भोपाल (म.प्र.)
विषय :- पत्रकारों पर दुर्भावनावश दर्ज होते प्रकरणों को लेकर एक दिवसीय धरना।
महोदय,
उपरोक्त विषय में निवेदन है कि मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में पत्रकारों पर आये दिन फर्जी शिकायतों पर पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज किये जा रहे है। गृह विभाग (पुलिस) के आदेश क्रमांक-एफ-34/09/1बी-1/दो दिनांक-6 जनवरी 2010 की अवहेलना हो रही है के पालन एवं सुधार हो।
1. भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के स्थान पर 155 हो।
2. आदेश के पैरा क्रमांक दो स्पष्ट होना चाहिये यदि अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार से तात्पर्य है तो मध्यप्रदेश में अधिमान्य पत्रकारों की संख्या अधिकतम 2500 होगी, जिसमें 1500 के लगभग मात्र भोपाल के है। ग्रामीण अंचल के पत्रकारों को अधिमान्यता प्राप्त नहीं। अधिमान्यता नियमों के कारण एक समाचार पत्र से जिसकी प्रसार संख्या 50 हजार से अधिक है को अधिकतम 17 पत्रकारों को ही अधिमान्यता प्राप्त होगी जबकि उस समाचार पत्र में न्यूनतम 10 से 15 पत्रकार कार्य करते है।
3. पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज करने पर जिला जनसम्पर्क अधिकारी से पत्रकार के बारे में जानकारी नहीं ली जाती।
4. आदेश के क्रमांक-3 पर कोई कार्यवाही नहीं होती।
5. (क) आदेश के क्रमांक-4 पर जनसम्पर्क विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं के बराबर होती है।
(ख) यदि भूल से किसी पत्रकार का आवेदन पुलिस मुख्यालय भेजा जाता है तो उसका जवाब पुलिस मुख्यालय से प्राप्त नहीं होता।
-: मुख्य विचारणीय विषय :-
1. पत्रकार सुरक्षा कानून बने।
2. पत्रकार यूनियन (श्रम विभाग में पंजीयत) के अध्यक्ष अथवा उसके द्वारा नामित व्यक्ति, जनसम्पर्क आयुक्त अथवा उसके द्वारा नामित अधिकारी, पुलिस महानिदेशक अथवा उनके द्वारा अतिरिक्त महानिदेशक की संयुक्त कमेटी बनाई जाये, जो पत्रकारों पर दर्ज प्रकरण की जांच करे तत्पश्चात कार्यवाही करें।
देखने में आया है कि शिकायकर्ता के द्वारा की गई शिकायत के आधार पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिये जाते है। जो कि सीधे-सीधे आदेशों की अवहेलना की श्रेणी में आता है और पत्रकार को प्रताडऩा का सामना करना होता है।
मेरा आग्रह है कि प्रकरण में जहां पत्रकार की जांच होती है वहीं शिकायतकर्ता के कार्यों की भी जांच होना चाहिये। जिससे पत्रकार को न्याय मिलेगा।
यूनियन का अध्यक्ष होने के नाते मेरा दायित्व बनता है कि मैं पत्रकारों पर दर्ज होते प्रकरणों से आपको अवगत कराऊं। कृपया पुलिस मुख्यालय से पिछले 5 वर्ष में पूरे प्रदेश में कितने प्रकरण दर्ज हुये की सूची बुलाई जाये तथा समस्त प्रकरणों की पुन: समीक्षा कराई जाये और न्यायालय से प्रकरण वापिस लिये जाये एक समय सीमा में। समय सीमा का निर्धारण आवश्यक है।
मेरा आग्रह है कि प्रदेश के प्रत्येक थाने में आदेशों की प्रति उपलब्ध हो और स्पष्ट निर्देश भी पत्रकारों के प्रति आपकी संवेदनशीलता एक इतिहास है।
धन्यवाद।
(राधावल्लभ शारदा)
प्रदेश अध्यक्ष
एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन

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