भारत छोड़ो आंदोलन के विरोधियों के हाथ में है सरकार का रिमोट

sonia-gandhiकांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने सांप्रदायिक एजेंडे को छिपाने के लिए विकास को मूलमंत्र के तौर पर इस्तेमाल कर रही है तथा ‘असहिष्णुता के मौजूदा माहौल’ में भिन्न आस्था रखने वाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
सोनिया ने बिना नाम लिए आरएसएस पर भी निशाना साधा और कहा कि इस संगठन ने देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार एक अन्य संगठन (मुस्लिम लीग) के साथ 1942 में महात्मा गांधी के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का विरोध किया था और ‘तथाकथित राष्ट्रवादी’ आजकल देशभक्ति का प्रमाणपत्र बांट रहे हैं.
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में साल भरे चले समारोह के समापन मौके पर सोनिया ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री विचारों के बेलाग आदान-प्रदान की बात करते थे जब प्रत्येक नागरिक अपने ‘मन की बात’ करता था जो अब एक रेडियो प्रसारण तक सीमित हो गया है. वह मोदी के लिए रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम की ओर से इशारा कर रही थीं जिसमें वह कई मुद्दों पर बात करते हैं.

यह एक तरह की निरंकुशता
उन्होंने कहा, ‘ऐसे समय में जब लोगों को भिन्न आस्था रखने के लिए निशाना बनाया जा रहा है तो इसे याद रखना महत्वपूर्ण है. सिर्फ इसलिए कि कोई अलग विचार रखता है या असहमत होता है तो वे उसे गद्दार करार नहीं दिया जा सकता. यह न तो लोकतंत्र का रास्ता है न ही देशभक्ति का स्वरूप है. यह एक तरह की निरंकुशता है.’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘आज, हम कुछ ऐसे व्यक्तियों और तत्वों के प्रयासों का गवाह बन रहे हैं जो विकास के मुखौटे के पीछे दुनिया के सामने अपना सांप्रदायिक एजेंडे को रखते हैं. विकास का इस्तेमाल बार बार मूलमंत्र के तौर पर किया जाता है.’ कुछ बुद्धिजीवियों की ओर से असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ अपने पुरस्कार लौटने के फैसले का हवाला देते हुए सोनिया ने कहा कि नेहरू ने साहित्य अकादमी के पहले अध्यक्ष के रूप में कहा था कि उनका पहला कर्तव्य इसे प्रधानमंत्री के दखल से सुरक्षित करना है.

सुरक्षा कौन करेगा?
सोनिया ने कहा, ‘उन्होंने (नेहरू) कला और मानवीय मूल्यों के लिए प्रेम को बढ़ाने, शोध करने में मदद तथा वैज्ञानिक सोच आगे बढ़ाने, हमारी संस्कृति और विविध तानेबाने को सुरक्षित रखने के मकसद से यह किया. परंतु आज ये संस्थान मजाक बन गए हैं. परंतु आज की अकादमियों और संस्थानों की सुरक्षा कौन करेगा?’ मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री जब विदेश होते हैं तो कहते हैं कि भारत सहिष्णु है और सरकार सभी वर्गों को साथ लेकर चलना चाहती है, लेकिन जब वह भारत में होते हैं तो इसको लेकर कुछ नहीं करते.
उन्होंने कहा, ‘हरियाणा में दलित बच्चों की हत्या होती है या दादरी में धर्म के नाम पर हत्या होती है तो प्रधानमंत्री खामोश रहते हैं.’ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं तो नवीन भारत के निर्माण में नेहरू की भूमिका के बारे में असमंजस फैलाना चाहती हैं. सिंह ने कहा, ‘वे सफल नहीं होंगी. कुछ समय के लिए कुछ सांप्रदायिक ताकतें एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ खड़ा कर देती हैं. अगर ये ताकतें सफल होती हैं तो देश और लोकतंत्र की एकता को खतरा पैदा होगा.’

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