गौ-माता को संकल्पित संत उमाकांतजी का सत्संग

vidishaविदिषा। गौ-माता और शुद्ध शाकाहार को संकल्पित युग महापुरूष दिवंगत प्रख्यात संत बाबा जय गुरूदेव महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत उमाकांतजी महाराज विदिषा से सटे मिर्जापुर क्षेत्र में नवनिर्मित कृषि उपज मण्डी प्रांगण में आज सोमवार 16 नवम्बर को अपराह्न 3 बजे सत्संग प्रवचन सहित नामदान कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। अपने दिवंगत पूज्य गुरूदेव की भांति संत उमाकांतजी महाराज भी सभी धर्मो-सम्प्रदायों, संगठनों के अनुयायियों को गौ-माता तथा शाकाहार की महत्ता इस अवसर पर अवगत कराएंगे। परम संत बाबा जय गुरूदेव की विदिषा संगत ने इस अवसर पर सभी को सादर आमंत्रित करते हुए जिज्ञासुओं से अवष्य पधारने का विषेष आग्रह किया है। संगत द्वारा प्रसारित प्रचार साहित्य के अनुसार ‘‘सभी धर्मों के भाई-बहिनों यह संदेष सुनि लीजे, आए हैं सत्गुरू कुछ देने नाम रतन-धन ले लीजे।’’ संतश्री गौ-माता को राष्ट्रीय पषु घोषित कराने की अलख विषेष रूप से जगाएंगे। ’’संत-फकीरों का फरमान, पेट नहीं है कब्रिस्तान’’ के संदेष के साथ शाकाहार की महत्ता पर संतश्री प्रकाष डालेंगे। वे शुद्ध-सात्विक खान-पान, रहन-सहन, चरित्र सुधार तथा नषा मुक्ति को भगवान की सच्ची पूजा निरूपित करेंगे। संगत ने युवा शक्ति से अधिक से अधिक भागीदारी का आह्वान व्यापक राष्ट्रहित में किया है।

प्रो. घई को सम्मानित करने भोपाल जाएगा विदिषा लेखिका संघ
विदिषा। विष्व हिन्दी संस्थान कनाडा के संस्थापक एवं निदेषक प्रो. सरन घई को 17 नवम्बर को भोपाल में म.प्र. लेखिका संघ द्वारा हिन्दी साहित्य रत्न पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। हिन्दी लेखिका संघ विदिषा की सदस्य श्रीमती रेखा दुबे ने बताया कि इस समारोह में विदिषा जिले की हिन्दी लेखिकाएं भी उपस्थित होंगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में इन्टरनेट के माध्यम से पूरे विष्व के 135 रचनाकारों में से 65 रचनाकारों ने खट्टे-मीठे रिष्ते नामक उपन्यास की रचना की है, जिसका विमोचन दिल्ली में 29 नवम्बर को होगा। इस उपन्यास में विदिषा की रेखा दुबे द्वारा लिखे गए अंष भी शामिल किए गए हैं। इस उपन्यास का संचालन भी प्रो. सरन घई ने ही किया है। हिन्दी सेवा के लिए विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित अभिनंदित प्रो. सरन घई को विदिषा आने का निमंत्रण भी विदिषा की हिन्दी लेखिकाएं देंगी। उन्होंने बताया कि विष्व हिन्दी संस्थान कनाडा के माध्यम से हिन्दी भाषा को समर्पित विष्व की विभिन्न लेखिकाओं की रचनाओं का संयुक्त प्रकाषन भारतीय हिन्दी लेखन को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहा है। साथ ही प्रदेष के साथ विदिषा की लेखिकाओं को भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लेखन करने एवं उसके प्रकाषन से नई ऊर्जा प्राप्त हो रही है। हिन्दी साहित्य के माध्यम से वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति भी जीवंत-सार्थक हो रही है।


श्रीमती रेखा दुबे लेखिका
मोबा. 8959288001

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