सिंधी समाज में स्त्रियों को समान हक़

e770636b63ad7f69c45fd0fb40a0f9c3रायपुर. शहर की दो जुड़वां बेटियों ने आज समाज के सामने मिसाल कायम की। दोनों बहनों ने पिता की इच्छा के मुताबिक श्मशान घाट में उनकी चिता को मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार के सारे रस्म निभाए। युवा बहनों का कहना है कि आगे भी वे श्राद्ध के सारे कर्मकांड खुद करेंगी।

ये है मामला
– पेशे से ठेकेदार राजकुमार रहेजा (48) का शुक्रवार की रात एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें हार्ट अटैक के बाद भर्ती कराया गया था।
– रहेजा को कोई बेटा नहीं है। परंपरा के मुताबिक ऐसी हालत में परिवार के दूसरे पुरुष सदस्य उन्हें मुखाग्नि दे सकते थे।
– लेकिन रिश्तेदारों और सिंधी समाज ने तय किया कि उनकी बेटियां नीलू और शालू ही यह रस्म निभाएंगी।

बेटियों पर छिड़कते थे जान
– रिश्तेदारों के मुताबिक राजकुमार अपनी बेटियों पर जान लुटाते थे और कहा करते थे कि उन्हें बेटा नहीं होने का कोई अफसोस नहीं है।
– पढ़ाई करने के साथ-साथ पिता के व्यवसाय में भी दोनों बेटियां पूरा सहयोग करती थीं।

एक्जाम में नहीं बैठ सकी
नीलू और शालू और शहर के ही एक कॉलेज में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हैं। आज दोनों का एक्जाम भी था। लेकिन पिता की मौत के कारण वे अपने पेपर नहीं दे सकीं।

श्मशान घाट में लगी भीड़
आज सुबह जब रिश्तेदारों, पंडितों के साथ दोनों बेटियां पिता की अर्थी के साथ श्मशान घाट पहुंची तो इसकी खबर शहर भर में फैल गई।

समाज दे चुका है अनुमति
– संस्था ‘ बढ़ते कदम’ के पूर्व अध्यक्ष राजू तारवानी ने बताया कि सिंधी समाज में इस नई परंपरा को मान्यता मिल चुकी है।
– रायपुर में सिंधी समाज में बेटियों द्वारा पिता को मुखाग्नि देने का यह दूसरा मामला है। छह महीने पहले भी एक बेटी ने यह परंपरा निभाई थी।
– तारवानी के मुताबिक सिंधी समाज ने नियमों में बदलाव करते हुए पत्नी के अंतिम संस्कार में पति को श्मशान घाट जाने की भी अनुमति दे दी है।

Anand Manwani

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