वीतराग विज्ञान ही सर्वोच्च धर्म है – डॉ.पं.हुकुमचंद जी भारिल्ल

IMG-20160515-WA0019द्वितीय दिवस ज्ञानानंद महोत्सव के स्वर्ण जयन्ति शिविर वीतराग विज्ञान आध्यात्मिक शिक्षण प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत आज सुबह जैन समाज के प्रक्यात विद्वान् पंडित हुकुमचंद जी भारिल्ल ने अपने विदुता पूर्ण प्रवचन में वीतराग विज्ञान एवं अध्यात्म की विस्तार से व्याख्यान की ,अपने सारग्विर्थ प्रवचन में कहा की दुनिया में सायकल बनाने वाला सायकल चलने में होसियार नहीं होता के उधारण से कला एवं विज्ञान में अंतर बताया ,जैन धरम में वीतराग विज्ञानं एक हजार वर्ष पूर्व में आचार्य अम्रत्चंद ने आत्मा ख्याति टीका में तथा 250 वर्ष पूर्व टोडरमल ने व 175 वर्ष पूर्व छहडाला ग्रन्थ में पं दोलतराम जी ने इसकी विस्तृत व्याखा की है . आपने अध्यातम पर प्रवचन में कहा की आत्मा को जानना ही आध्यात्म हैं .
प्रवक्ता डॉ.मक्खनलाल जैन ने बताया की इस शिविर में 10 प्रदेशों के हजारों प्रशिक्षणआर्थी एवं विध्यार्थी भाग ले रहे हैं. तथा देश के प्रख्यात विद्वानो के प्रवचन हो रहे हैं.आज शिविर स्थल पर विदिशा नगर पालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टंडन द्वारा शिविर की सभी गतिविधियों को देखा गया एवं उन्होंने पं हुकुमचंद जी भारिल्ल का प्रवचन भी सुना ,शिविर समिति द्वारा उनका स्वागत किया गया ,प्रसिध्द विद्वान बा.ब्रा.सुमत्प्रकाश जी द्वारा रात्री में ज्ञान स्वभाव व् सुबह के प्रवचन में पांच समवाय पर विस्तार से सार्गभित उदाहरण द्वारा समझाया ,
प्रवक्ता डॉ.मक्खनलाल जैन ने बताया की शिविर में प्रतिदिन सुबह 5 :30 से शिक्षण कक्षा ,श्रीजी अभिषेक,पूजन ,विधान ,प्रवचन व अन्य कार्यक्रम रात्री में 10 बजे तक चलते हैं .

डॉ.एम.एल.जैन
जैन ऑप्टिकल्स,लोहा बाजार,विदिशा
मोब.9826271575
प्रवक्ता:
श्री वीतराग विज्ञान आध्यात्मिक शिक्षण प्रशिक्षण शिविर समिति विदिशा
श्री शीतलनाथ दिगम्बर बड़ा जैन मंदिर ट्रस्ट विदिशा

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