ईंधन के दाम में बढ़ोत्तरी और रीटेल में एफडीआई के मुद्दे पर समूचे विपक्ष का एक मंच पर आना भले ही बंद से बड़ी खबर हो लेकिन एक मंच पर होते हुए भी नेताओं और पार्टियों ने उचित दूरी’ बनाए रखी है.
सरकार के फैसलो के विरोध ने राजनीतिक पटल पर दक्षिणपंथ-वामपंथ और तीसरे मोर्चे को साथ ला खड़ा किया है, लेकिन इसके बावजूद बंद के दौरान सपा नेता मुलायम सिंह यादव मंच पर भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़े नहीं हुए.
मुलायम सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं और ऐसे में उनके कार्यकर्ता तो सभी दलों के साथ एकजुट होकर मौजूद रहे लेकिन वो खुद उस मंच पर नहीं पहुंचे जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता मौजूद थे.
सीपीआई महासचिव के साथ मंच पर पहुंचे मुलायम सिंह यादव ने कहा, ”मैंने कई बार ये दोहराया है कि हम सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए सरकार का समर्थन कर रहे हैं. अगर सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो हमें अगला संघर्ष करने को तैयार रहना होगा.”
‘एकता में अनेकता’
ज़ाहिर है मुलायम किसी भी कीमत पर यह नहीं चाहते कि किसी भी रुप में वोटरों के बीच उनके भाजपा से जुड़ने का संकेत जाए.
इस बीच वामपंथी दलों की निगाहें जितनी दिल्ली पर हैं उतनी ही पश्चिम बंगाल की राजनीति पर भी.
अपनी विरोधी में ममता बनर्जी के हाथों राज्य में राजनीतिक ज़मीन हथियाए जाने के डर से लेफ्ट-फ्रंट ने दिल्ली में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ़ ज़ोरदार मोर्चा खोला है.
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी अगर जनता के हक में काम करना चाहती तो अपने दोहरे व्यवहार को छोड़कर खुलकर सरकार के खिलाफ़ सामने आए.
तीसरा मोर्चा?
उन्होंने कहा, ”विधानसभा चुनावों में सपा, बसपा और कोग्रेस ने खुलकर एक दूसरे के खिलाफ़ आरोप लगाए और लोगों को भ्रमित किया लेकिन आज भी वो सरकार को लिखित समर्थन दे रहे हैं. अगर ये दोने दल वाकई एफ़डीआई के खिलाफ़ है तो सरकार से समर्थन वापस लें. जनहित में ये दल खुलकर साथ आएं तो हम उन्हें ये आश्वासन देते हैं कि सरकार अगर गिरती है तो भाजपा की ओर से सरकार बनाने की पहल नहीं की जाएगी.”
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आगामी चुनावों को देखते हुए कोई भी पार्टी महंगाई, डीज़ल के दाम और एफ़डीआई जेसे मुद्दों को नहीं छोड़ना चाहती है और इसी लिए ये दल साथ आए हैं. लेकिन सपकार के खिलाफ़ विपक्ष की असली ताकत उस वक्त सामने आएगी जब चुनावी मैदान में वाकई एक तीसरा मोर्चा खड़ा दिखाई देगा.
भाजपा, जेडीयू और लेफ्ट समेत कई विपक्षी पार्टियों ने गुरुवार को भारत बंद का ऐलान किया था.
बंद का राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पंजाब तथा हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों में सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा. हालांकि मुंबई में गणेश उत्सव के चलते इसका असर काफी कम रहा.