महावीर निर्वाण दिवस पर ‘महावीर पाट परम्परा’ पुस्तक का लोकार्पण
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2016
केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री श्री संतोष गंगवार ने राष्ट्र के लिए अहिंसा, नैतिकता तथा सामाजिक संवेदनशीलता को सबसे जरूरी बताते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्र चाहे किसी भी क्षेत्र में कितनी भी प्रगति क्यों न कर ले वह इन मूल्यों के बिना सही मायने में उन्नति नहीं कर सकता। भगवान महावीर ने हमें अहिंसा, अनेकान्त, सहअस्तित्व एवं शांति का संदेश दिया और वर्तमान में उनकी परम्परा के संतजन उन्हीं के सिद्धांतों एवं जीवनशैली को जन-जन में सम्प्रेषित कर रहे हैं। राष्ट्र महावीर के बताए मार्ग पर चलकर ही वास्तविक उन्नति कर सकता है।
श्री गंगवार ने अपने निवास पर सुखी परिवार फाउंडेशन एवं जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल के संयुक्त तत्वावधान में भगवान महावीर निर्वाण दिवस के संदर्भ में आयोजित विचारसंगीति को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी की पावन सन्निधि में श्री गंगवार ने गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी के विद्वान शिष्य लेखक एवं चिंतक प्रन्यासप्रवर श्री चिदानंदजी महाराज की पुस्तक ‘‘महावीर पाट परम्परा’’ को लोकार्पित करते हुए कहा कि भगवान महावीर की उत्तरकालीन पाट परम्परा का एक गौरवमय इतिहास है। इस इतिहास की यथार्थ जानकारी से अवगत होकर ही जैन धर्म के वास्तविक स्वरूप से हम साक्षात्कार कर सकते हैं। आज के सुविधावादी एवं भौतिकवादी युग में इसी महावीर परम्परा को हम देखते हैं जो हमारे लिए प्रेरक एवं वंदनीय है। यह वर्तमान समय का एक बहुत बड़ा सुरक्षा कवच है कि महावीर की त्याग, तपस्या एवं साधना को जीनेवाले हजारों हजार साधु-संत हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।
सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक श्री ललित गर्ग ने पुस्तक की प्रति लोकार्पण के लिए श्री गंगवार को भेंट की। गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि भगवान महावीर और उनकी परम्परा भारतभूमि पर अवतरित एक ऐसा आलोकस्तंभ है जिसकी रोशनी में हिंसा से आक्रांत भूली भटकी मानवता को नया दिशा-दर्शन मिल सकता है और उसके लिए यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगी।
गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि महावीर निर्वाण दिवस एक ऐसे महापुरुष की स्मृति का पावन दिवस है जिन्होंने अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकान्त का सिद्धांत दिया। महावीर की स्मृति तभी सार्थक है जब हम महावीर बनने की तैयारी करें। हम महावीर बनना चाहते हैं तो पहले महावीर को संपूर्ण जीवन-दर्शन पढ़े। उन्होंने अपने संदेश में आगे कहा कि महावीर की स्मृति और उनके अवदानों को जीवन का हिस्सा बनाए और इसके साथ-साथ उन सिद्धांतों के द्वारा युग की समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न करें।
इस अवसर पर डाॅ. सी. आर. जैन, श्री राहुल फूलफगर, श्री राहुल वत्स, श्री राजकुमार चैधरी, श्री अजय अग्रवाल, उदय इंडिया के संपादक श्री दीपक रथ, श्री महेन्द्र राउत आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
(बरुण कुमार सिंह)
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