मोदी की तस्वीर छापने पर जियो पर 500 रुपये का जुर्माना

jio-modi_1480670825इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों में बिना अनुमति के पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर छापे जाने के मामले में रिलायंस जियो महज 500 रुपये का जुर्माना देकर बच जाएगा।रिलायंस जियो के विज्ञापन में पीएम की तस्वीर छापे जाने का राजनीतिक दलों ने जमकर विरोध किया था। किसी निजी कंपनी के विज्ञापन में बिना अनुमति के प्रधानमंत्री की तस्वीर छापे जाने को राजनीतिक दलों ने असंवैधानिक बताते हुए विरोध जताया था। राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों के गलत इस्तेमाल को लेकर बने 1950 के कानून के तहत इस मामले में यह जुर्माना लगाया जा सकेगा।

विज्ञापनों में पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर के इस्तेमाल को लेकर सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ने एक लिखित जवाब में लोकसभा में बताया, ‘इस बारे में पीएम मोदी के ऑफिस की ओर से कोई अनुमति जारी नहीं की गई।’ इस पूरे मामले में रिलायंस जियो ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज शेखर के सवाल के जवाब में राठौड़ ने कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि रिलायंस जियो ने पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल अपने विज्ञापन में किया है।
जियो के विज्ञापनों में पीएम मोदी की तस्वीर दिखाए जाने के बाद विपक्ष ने हमला बोलते हुए कहा था कि आखिर कैसे कोई निजी कंपनी अपने उत्पाद के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री की फोटो को यूज कर सकती है। इसके अलावा ई-वॉलेट कंपनी पेटीएम के विज्ञापनों में भी पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाए जाने का विपक्षी दलों ने तीखा विरोध किया था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तो यह आरोप भी लगाया था कि मोदी सरकार ने पेटीएम को फायदा पहुंचाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया।

संसद में विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब में राठौड़ ने कहा कि कंज्यूमर अफेयर्स, फूड ऐंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन मिनिस्ट्री की ओर से राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों के गलत इस्तेमाल के मामलों की निगरानी की जाती है। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कंपनियों द्वारा पीएम मोदी के तस्वीर के बेजा इस्तेमाल को लेकर विभाग को अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है। एक अधिकारी ने कहा कि यदि विज्ञापन में किसी भी तरह से कानून का उल्लंघन पाया जाता है तो जरूरी कदम उठाएंगे।

इन चिह्नों और नामों के इस्तेमाल से पहले जरूरी है अनुमति
ऐक्ट के सेक्शन-3 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अपने व्यापारिक या कारोबारी उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों का केंद्र सरकार या सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना इस्तेमाल नहीं कर सकता। इस ऐक्ट के तहत करीब तीन दर्जन नामों और चिह्नों की सूची तैयार की गई है, जिनका कोई व्यक्ति सरकारी अनुमति के बिना अपने कारोबारी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता। इनमें देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्य के गवर्नर, भारत सरकार या कोई प्रदेश सरकार, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, संयुक्त राष्ट्र संघ, अशोक चक्र और धर्म चक्र शामिल हैं।

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