अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को पद से हटा दिया

anurag-thakurनई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर सालभर से ज्यादा समय से चल रहे मामले में सोमवार को अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया.

लोढ़ा समिति के इस फैसले के बाद अनुराग ठाकुर की प्रतिक्रिया आई और उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि बीसीसीआई सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नेतृत्व में बेहतर काम कर सकता है, मैं उन्हें शुभकामनायें देता हूं.”

अनुराग ठाकुर ने कहा, ”मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं. यह मेरी निजी लड़ाई नहीं थी, मैंने खेल की स्वायत्तता के लिए लड़ाई लड़ी.”

इससे पहले देश की सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू ना करने को लेकर अड़ियल रुख अपनाए बीसीसीआई के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ठाकुर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. उनसे पूछा गया है कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए?

क्या है मामला

साल 2013 में आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों और बीबीसीआी के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस मामले की जांच के लिए बनी जस्टिस मुद्गल कमेटी ने 2014 में बीसीसीआई में सुधार की बात अपने रिपोर्ट में कही थी.

जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की कार्यशैली और संविधान में बदलाव के लिए जनवरी 2015 में जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई. जुलाई, 2015 में लोढ़ा पैनल ने अपना फैसला सुनाते हुए राजस्थान रॉयल और चेन्नई सुपर किंग्स को दो-दो साल के लिए आईपीएल से बैन कर दिया. साथ ही क्रिकेट के सुधार के लिए भी जस्टिस लोढ़ा ने कई सिफारिशें की थीं, जिन्हें अनुराग ठाकुर लागू नहीं कर रहे थे.

लोढ़ा समिति की सिफारिश

जस्टिस लोढ़ा ने अपनी सिफारिश में कहा था कि 70 साल से ज्यादा उम्र का कोई शख्स, कोई मंत्री, सजायाफ्ता शख्स या सरकारी नौकरी में रह चुका शख्स BCCI के पद पर नहीं रह सकेगा.

अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को हटाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आज के फैसले में कहा कि ‘प्रशासकों की समिति बीसीसीआई के कामकाज को देखेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अध्यक्ष का काम बीसीसीआई का सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सचिव का काम संयुक्त सचिव संभालेगा. इसके साथ ही बीसीसीआई के सभी पदाधिकारियों और राज्य संघों को लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन करने के लिये शपथपत्र देना होगा.

अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के के साथ गाज उन लोगों पर भी गिरी है जो जिन्होंने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मानने से इंकार किया था. लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानने से इंकार करने वाले बीसीसीआई और राज्य संघों के सभी पदाधिकारियों को भी अपना पद छोड़ना होगा.

बीसीसीआई का पझ

इससे पहले अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने आईसीसी से कहा था कि वो एक चिट्ठी जारी करें जिसमे लिखें की अगर बीसीसीआई ने सीएजी नियुक्त किया तो आईसीसी उसकी मान्यता रदद् कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी बताया और कहा कि क्यों न अनुराग ठाकुर के खिलाफ ‘झूठी गवाही’ का मामला चलाया जाए.’

पिछली सुनवाई में नौबत यहां तक आ गयी थी कि बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल को कोर्ट से कहना पड़ा की आप अगर बीसीसीआई के सदस्यों को हटाते भी हैं उससे समस्या कहां कम हो पाएगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बीसीसीआई के नियम कानून में बदलाव होना ज़रूरी है ओर वो तब ही हो सकता है जब 2/3 सदस्य उसके लिए तैयार हों.

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