हार के बाद पहली बार जनता से मायावती का सामना

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद पहली बार बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती आज लखनऊ अपने समर्थकों से संवाद करेंगी. पार्टी के संस्थापक कांशी राम की छठीं पुण्य तिथि पर आयिजित रैली में हिस्सा लेने के लिए देश भर से बड़ी संख्या में लोग लखनऊ पहुँच रहे हैं.

बीएसपी ने इसे संकल्प रैली का नाम दिया है. प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात संचालन के लिए बंदोबस्त किए हैं.

लोगों को लाने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने सोलह रेलगाड़ियाँ और सैकड़ों की संख्या में बसें किराए पर ली हैं. बाहर से आने वाले लोगों के ठहराने और खाने पीने का पहले की तरह बढ़िया इंतजाम किया गया है.

क्या कहेंगी मायावती?

माना जाता है कि वो इस रैली में लोकसभा चुनाव के लिए अपनी राजनीतिक दिशा और मुद्दे स्पष्ट करेंगी.

इस रैली का इसलिए महत्व बढ़ जाता है क्योंकि मायावती चुनावी हार के बाद पहली बार ऐसी बड़ी जनसभा कर रही हैं.

उनके सामने सबसे बड़ा सवाल केंद्र की यूपीए सरकार के बारे में अपना रुख स्पष्ट करना है. इसके साथ ही उन्हें अपने समर्थकों की इस उम्मीद को भी कायम रखना है कि 2014 के आम चुनावों में मायावती प्रधानमंत्री बनें.

उनके समर्थक लंबे समय से मायावती को प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठे देखना चाहते हैं.

कांग्रेस का हाथ या बीजेपी का साथ ?

इस सवाल का जवाब ऐन इस वक्त नहीं दिया जा सकता है कि मायावती केंद्र सरकार को समर्थन देना जारी रखेंगी या फिर 2014 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ जाएँगी.

पहले बहुजन समाज पार्टी अलग अलग समय पर काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों के साथ चुनावी गठबंधन कर चुकी है.

समझा जाता है कि मायावती इस रैली में मुख्य रूप से दलित समुदाय के स्वाभिमान और आर्थिक हितों से जुड़े मुद्दों पर जोर देंगी.

इनमे प्रमुख है पदोन्नति में भी आरक्षण जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अखिलेश यादव सरकार ने रद्द कर दिया है.

लेकिन संयोग से पार्टी अध्यक्ष मायावती जब लखनऊ में रैली को संबोधित कर रही होंगी, लगभग उसी समय दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से अकूत संपत्ति इकट्ठा करने का मुकदमा चलाने की याचिका पर सुनवाई कर रही होगी.

राज्य स्तर पर भी बहुजन समाज पार्टी के सभी बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं. सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने इसे भ्रष्टाचार से घिरे नेताओं की जान बचाओ रैली करार दिया है.

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