ताकि बेहतर व्यवस्थित यातायात का लाभ जनता को मिले-रीता सिंह

सीमित बल में बेहतर करने के लिये कटिबद्ध दिखती यातायात पुलिस
यातायात प्रभारी रीता सिंह ने रखा विभाग का पक्ष सहयोग की अपील

डा.एल.एन.वैष्णव
दमोह/ बहुत हदतक सडकें अपने अस्तित्व को बचाने में दिन में कामयाब होती देखी जा सकती हैं रात्रि में अनेक जगहों पर सोलर संकेतक लाईटों की जगमगाहट दिखने लगी है। बतलादें कि एैसा नहीं कि सडकें संकीर्ण हैं परन्तु यह सब अपना अस्तित्व दिन में प्रायःपूर्व में खो देती थीं इसके पीछे काफी हद तक बाजार का सही ढंग से स्थापित न होना,पार्किंग स्थलों का न होना एवं जहां है उन पर अतिक्रमण होना बतलाया जाता है। नगर में फिलहाल लापरवाही करने वालों में भय का तो आम नागरिकों में प्रसन्नता का माहौल बना देखा जा सकता है। सीमित बल के साथ बेहतर व्यवस्था देने के लिये लगातार कर्तव्य पथ पर यातायात थाना प्रभारी रीता सिंह को अपने अधीनस्थ अमले के साथ देखा जा सकता है। समझाईस के साथ ही रामचरित मानस की चैपाई “भय बिन प्रीत न होय गौसाईं”के मार्ग को भी अपनाते देखी जा सकती है। बच्चों को समझाईस के साथ ही विद्यालय,महाविद्यालयों में संपर्क कर जानकारी देने का क्रम भी चल रहा है तो वहीं बच्चों को वाहन के माध्यम से लाने लेजाने वाले चालकों को समझाईस देने का क्रम भी जारी है।
प्रश्नों के उत्तर,विभाग का पक्ष-
यातायात पुलिस की थाना प्रभारी रीता सिंह से एक साक्षात्कार के समय पंूछे गये प्रश्नों का उन्होने बडी ही बेबाकी से उत्तर दिया तथा भविष्य की योजनाओं पर अपनी बात रखी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि बेहतर से बेहतर यातायात व्यवस्था देने के लिये हम कटिबद्ध हैं। एक प्रश्न के उत्तर में वह कहतीं हैं कि जनता का पूरा सहयोग हमें प्राप्त हो रहा है कार्य करने के दौरान यह बात एक दम साफ नजर आती है कि आमजन कुछ नया एवं बाधा रहित यातायात के पक्ष में खडा नजर आता है,हां कुछ को परेशानी उनके व्यक्तिगत कारणों से हो सकती है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि सोलर लाईटों को लगाकर हम रात्रि मंे होने वाली दुर्घटनाओं को काफी हद तक रोक सकते हैं इसके लिये लगातार कार्य किया जा रहा है चाहे वह बेरीकेट हों या फिर रेडीयम,एवं अन्य संकेतक सामग्री हो सभी को आवश्यक स्थानों पर लगाने का क्रम जारी है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि आटो रिक्शा पर नंबर अंकित करने तथा आवश्यक कागजों को साथ रखने के निर्देश दिये गये हैं एवं कार्यवाही की जा रही है। वहीं वाहन चालकों को भी कानून के नियमों के पालन करने तथा न करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही लगातार जारी है और रहेगी।
Rita Singhएक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह सच है कि विभाग में बल की कमी हैं जितना कार्य है उसके एवज में परन्तु हमें कार्य करना है तो मार्ग भी तलाशना होते हैं और स्टाफ के सहयोग से हम अपने कर्तव्य को पूरा करते हैं। समाचार के प्रतिनिधि के प्रश्न कि तीन- ई इंनवारमेंट,एजूकेशन,इंजीनियरिंग की बात सामने आती है परन्तु नगर में तीसरे ई अर्थात् इंजीनियरिंग के मामले में बडी समस्या देखी जा सकती है क्या इंजीनियरिंग के हिसाब से नगर के तिराहे,चैराहे,मार्ग सही हैं? वह कहतीं हैं कि आपका कहना सही है। एक प्रश्न के उत्तर में वह कहती हैं कि एक लाईट से चलने वाले तथा डोमेस्टिक की जगह कामर्शियल टेक्टर,ट्रालियों पर भी कार्यवाही की जा रही है जिसको और तेज किया जायेगा। एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि 60 नग ट्राफिक कोन, 22 नग सोलर डेलीनेटर,36 नग काले सफेद रंग के बेरीकेटस नगर के प्रमुख चैराहों तथा मार्ग पर लगाये गये हैं। एक प्रश्न के उत्तर में बतलाया कि चालानी कार्यवाही के दौरान 1491 प्रकरण बनाते हुये उनसे 6 लाख 45 हजार रूपये समन शुल्क वसुला गया है। जबकि न्यायालय में प्रस्तुत 22 प्रकरणों में 1 लाख 10 हजार 200 रूपया जुर्माना किया गया है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि हमारा प्रयास लगातार बेहतर यातायात व्यवस्था देने का है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि नगर पालिका का सहयोग अगर हमें और अधिक मिलने लगे तो शहर की व्यवस्था सुधरने में समय नहीं लगेगा।
बढती जनसंख्या,वाहन,सीमित बल-
वैसे देखा जाये तो अनेक समस्यायंे भी देखी जा सकती हैं जो कि कुछ भौगोलिक तो कुछ विभागीय होने के साथ जनसंख्या के साथ वाहनों में वृद्धि के साथ ही नगर पालिका सहित संबधित विभागों की अनदेखी के साथ जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी काफी हद तक दोषी देखी जा सकती हैं? जिसको लेकर सबके अपने तर्क हैं। वैसे यातायात को सुव्यस्थित संचालित करने में जितने बल की आवश्यकता होनी चाहिये उतना तो दूर स्वीकृत से भी कम इसको देखा जा सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1970 के दशक में यातायात चैकी को स्वीकृति प्रदान की गयी थी एवं थाने को 2006 मंे स्वीकृति प्रदान की गयी थी। सूत्र बतलाते हैं कि जो बल उस समय स्वीकृत किया गया था वही आज है। जिसमें किसी प्रकार की बदलाव नहीं किया गया है जबकि सत्तर के दशक से लेकर आज तक देखा जाये तो जनसंख्या एवं वाहनों दोनो में काफी बढोत्तरी हो चुकी है। जिले के सांख्यिकी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार दमोह नगर में बर्ष 2001 में हुई जनगणना के अनुसार 58962 पुरूष एवं 53223 महिलायें यानि 1 लाख 12 हजार 185 वहीं बर्ष 2011 में 65299 पुरूष एवं 59802 महिलायें यानि 1 लाख 25 हजार 101 की जनसंख्या दर्ज की गयी थी। विभागीय सूत्रों की माने तो प्रति दस बर्ष में होने वाली जनगणना में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है। वहीं नगर के समीप के क्षेत्र जो नगरीय निकाय में सम्मिलित नहीं की जनसंख्या को जोडा जाये तो यह दो लाख के आंकडे को पार कर सकती है। इसी क्रम में अगर वाहनों की संख्या में भी लगातार ईजाफा हो रहा है। जिला परिवहन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 82 हजार मोटर साईकिल,26 एम्बूलंेस,2805 चार पहिया,51 बसें,863 ट्रक,10 हजार 670 टेक्टर,1301 आटोरिक्शा,10 ट्राली,382 ओमनी,3 फायर ब्रिग्रेड एवं एक मोपेड का पंजीयन है। जबकि अन्य नगरों में पंजीकृत वाहन भी यहां संचालित हो रहे हैं जिससे संख्या लगभग डेढ गुनी तो हो ही जाती है। अब एक नजर डालें यातायात विभाग में स्वीकृत एवं रिक्त बल पर तो 01 निरीक्षक,02 सूबेदार,उपनिरीक्षक,.05 सहायक उपनिरीक्षक,06प्रधान आरक्षक,20 आरक्षक स्वीकृत है। इसके एवज में 01 निरीक्षक,03 सूबेदार,03 सहायक उपनिरीक्षक,08 प्रधान आरक्षक,16 आरक्षक एवं महिला आरक्षक कार्य कर रहे हैं। अब जानकारों की माने तो जिस हिसाब से जनसंख्या एवं वाहनों में लगातार कई गुना वृद्धि हुई है उसके हिसाब से अगर बल में वृद्धि हो जाये तो और अधिक बेहतर हो सकता है।

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