केजरीवाल ने गडकरी पर लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली। इंडिया एगेंस्ट करप्शन के नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि अपने हितों की खातिर कांग्रेस व भाजपा में सांठगांठ है। केजरीवाल ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी किसके हितों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। बावजूद इसके भाजपा ने अपने संविधान में संशोधन कर गडकरी को फिर से पार्टी ने अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है।

दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में प्रेस वार्ता कर अरविंद केजरीवाल ने कहा, भाजपा इस देश की विपक्षी पार्टी है या फिर उसकी सत्ताधारी पार्टियों के साथ राज्यों में व केंद्र में सांठगांठ है। उन्होंने नितिन गडकरी एवं एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया। केजरीवाल ने कहा, दोनों ने किसानों के नाम पर कमाई की। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी किसके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि नितिन गडकरी का बहुत बड़ा बिजनेस अम्पायर है। केजरीवाल ने कहा कि क्या उनका व्यापारिक हित विदर्भ के किसानों के हितों के विरोध में हैं। केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि अपने व्यापारिक हितों के लिए नितिन गडकरी ने सांठगांठ कर लिया है लेकिन क्या व्यापार किसानों की कीमत पर हो रहे हैं। क्या विदर्भ में किसानों की आत्महत्या की वजह नितिन गडकरी के व्यवसाय हैं अरविंद ने कहा, हमारी आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि दमानिया द्वारा इकट्ठा किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के लिए नितिन गडकरी के व्यापारिक हित जिम्मेदार हैं।अरविंद ने कहा कि किसानों से बाध के लिए अधिग्रहित की गई करीब 100 एकड़ जमीन को महाराष्ट्र सरकार ने नितिन गडकरी को दे दिया। उन्होंने यह भी कहा, यह जमीन किसानों ने सरकार से वापस मागी थी लेकिन किसानों को जमीन देने के बजाए जमीन नितिन गडकरी को दे दी गई। उन्होंने कहा कि पवार से रिश्ते की वजह से चुप रहे है गडकरी। केजरीवाल ने कहा, गडकरी ने जमीन के लिए अजीत पवार को चिट्ठी लिखी। गडकरी को 37 हेक्टेयर जमीन और 11 हेक्टेयर जमीन जेम्स ऑफ इंडिया को दे दी गई। अजीत पवार ने गैरकानूनी तरीके से जमीन दी। गडकरी उस 37 हेक्टेयर जमीन पर खेती करवा रहे हैं। केजरीवाल ने खुलासा करते हुए कहा कि नागपुर के खुर्सापुर गाव में 1997 में बाध बना। बाध के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। बाध बनने के बाद काफी जमीन खाली बच गई। किसानों ने खाली जमीन वापस मागी लेकिन सरकार ने जमीन नहीं दी। सिंचाई विभाग की जमीन प्राइवेट कंपनी को नहीं दी जा सकती लेकिन किसानों की जमीन गडकरी और एक दूसरी कंपनी को दे दी गई।

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