पीएम ने माना बहुत बुरे दौर से गुजर रहा भारत

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को बुलाई गई मंत्रिपरिषद की बैठक में बढ़ते राजकोषीय घाटे पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सभी मंत्रियों को इस परेशानी के निवारक के रूप में काम करने को कहा है। पीएम ने कहा कि इस वक्त सरकार के सामने ईंधन आपूर्ति की व्यवस्था करना, सुरक्षा, और वित्तीय कठिनाइयों की कमी को पूरा करना और बुनियादी ढाचा क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है।

प्रधानमंत्री ने इस बैठक में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने बहुत बुरा दौर देखा है और बेहद खराब हालात से हम गुजरे हैं। इसकी वजह से जहां निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ा है वहीं हमारा राजकोषीय घाटा भी बहुत बढ़ गया है। इस दौरान बैठक में आरटीआई के मसौदे में कोई बदलाव न करने का भी फैसला लिया गया है। केबिनेट ने विवादास्पद संशोधन को वापस ले लिया है। संशोधन वापस लेने के बाद फाइलों पर लिखी गई टिप्पणियों को छोड़कर उन्हें सार्वजनिक किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर हो रही इस बैठक को वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी संबोधित किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आठ वर्ष के कार्यकाल के दौरान यह तीसरा मौका है जब उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई है। इस बैठक को कांग्रेस के मिशन 2014 को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है। इस बैठक में आर्थिक मुद्दों के साथ कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। इस बैठक के लिए 45 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।

पीएम द्वारा बुलाई गई यह बैठक यूं तो एक औपचारिक बैठक के तौर पर बुलाई गई है, जिसमें नए मंत्रियों और पुराने मंत्रियों को एक दूसरे से मिलाने की प्रथा निभाई जानी है। लेकिन यह बैठक इससे कहीं अहम है। दरअसल इस बैठक के माध्यम से संप्रग 2 अपने उन लक्ष्यों को साधना चाहता है जिनसे वह तीसरी बार केंद्र में सत्ता स्थापित कर सके। मनमोहन के नेतृत्व में जब दूसरी बार संप्रग सरकार सत्ता पर काबिज हुई तो उनके पास जनता को बताने के लिए काफी कुछ था। लेकिन इसबार ऐसा कुछ नहीं है अलबत्ता सरकार के पार्ट टू में घोटालों की लिस्ट लगातार लंबी होती चली गई है। ऐसे में पीएम की चिंता है कि वह आखिर 2014 में होने वाले आम चुनाव में वह क्या एचिवमेंट लेकर जनता के बीच जाएंगे।

आज हो रही इस बैठक में जहां अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत करने पर चर्चा होगी वहीं सरकार के लिए फैसलों को अतिशीघ्र लागू करने के भी सख्त निर्देश दिए जा सकते हैं। इसके अलावा इन फैसलों को लागू कराने के लिए मंत्रियों के बीच बेहतर तालमेल बनाने पर चर्चा की जाएगी। माना जा रहा है कि इस बचे हुए कार्यकाल के लिए मनमोहन अपने नए और पुराने मंत्रियों को तय समय में लक्ष्यों को प्राप्त करने के दिशा निर्देश दिए जा सकते हैं। इस बैठक में अटके हुए कुछ विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। इसमें फूड सिस्क्योरिटी बिल भी शामिल है।

इस बैठक में सरकार के बचे हुए कार्यकाल को लेकर होगी चर्चा वहीं आने वाले चुनावों को लेकर भी नई रणनीति बनाई जाएगी। सरकार के पास लंबित मुद्दों में कई विधेयक हैं जिन्हें मंजूरी दी जानी है। ये विधेयक वित्तीय और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं। इनमें उत्पाद एवं सेवा कर विधेयक और शैक्षिक न्यायाधिकरण विधेयक शामिल हैं। इस बैठक को प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी संबोधित करेंगे।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले 28 अक्टूबर को केबिनेट में फेरबदल कर कुछ पुराने मंत्रियों का प्रमोशन किया गया था, वहीं कुछ नए और युवा चेहरों को शामिल कर यूपीए 2 का चेहरा बदलने की कवायद की गई थी।

इस बैठक में सरकार पर लगे आरोपों के साथ आगामी चुनाव को देखते हुए कुछ रणनीति बनने की भी संभावना है। मुमकिन है कि फर्रुखाबाद में आज हो केजरीवाल की रैली की भी चर्चा इस बैठक में हो। गौरतलब है कि बुधवार को केजरीवाल ने सरकार समेत रिलायंस इंडस्ट्री के मुकेश अंबानी पर कई संगीन आरोप लगाए थे। इन सभी के अलावा रेल किराया और प्रेट्रोल, डीजल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर भी इस बैठक में कोई रणनीति तय की जा सकती है।

नया पदभार सभांलने के बाद ही वीरप्पा मोइली और पवन बंसल ने पेट्रोल-डीजल और रेल किरायों में वृद्धि के स्पष्ट संकेत दे दिए थे। ऐसे में यह देखना भी बेहद दिलचस्प होगा कि आखिर सरकार इन तमाम मुद्दों पर क्या फैसला लेती है। क्योंकि सरकार में लिया गया हर फैसला आम चुनावों तक आम जन के दिलो दिमाग पर हावी रहेगा।

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