मायाराज के बंगले बने अफसरों के सिरदर्द

लखनऊ माल एवेन्यू के ध्वस्त किए गए बंगला नंबर 13, दो, 12, 12-ए और साउथ एवेन्यू में बसपा राज में तोड़फोड़ का मामला अफसरों के लिए नई मुसीबत बन रहा है। सरकारी फाइलों में यह पुराना मामला एक बार फिर दौड़ने लगा है। बंगलों को तोड़ने व निर्माण से जुड़े विभाग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। तोड़े गए भवनों का मलबा कहा गया? इसका भी जवाब तलाशा जा रहा है। अंबेडकर स्थल, अंबेडकर मैदान, काशी राम स्मृति उपवन और रमाबाई अंबेडकर पार्क के निर्माण और उसके औचित्य से जुड़े जवाब वर्तमान सरकार को देने हैं। अफसर भी नहीं समझ पा रहे कि किस तरह से जवाब तैयार कराया जाए। संभावना थी कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित हाईकोर्ट की पाच सदस्यीय विशेष खंडपीठ 15 अक्टूबर को सुनवाई कर सकती है कि इन बंगलों को तोड़ने का क्या औचित्य था और वहा निर्माण किस उद्देश्य से कराया गया था। तारीख को लेकर तैयारिया भी शुरू हुईं लेकिन तारीख न पड़ने से शासन के अफसरों ने राहत महसूस की, पर अगली सुनवाई कभी भी हो सकती है। शासन ने कई विभागों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर यह मंत्रणा की थी कि अदालत में वर्तमान सत्ता का पक्ष रखने के लिए किन-किन बिंदुओं को आधार बनाया जाए।

हालाकि बसपा सरकार में ही अदालत को इन बंगलों को तोड़ने व वहा निर्माण कराने, स्मारकों के निर्माण का आधार भूत औचित्य बता दिया गया था लेकिन सत्ता बदलने के बाद सपा सरकार भी अगर पूर्ववत सरकार के औचित्य पर मुहर लगाती है तो इसके राजनीतिक मायने तलाशे जाने लगेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक अभी यह नहीं हो पाया है कि सरकार अपना पक्ष किस तरह से रखेगी।

इन पर होनी है सुनवाई – गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति -तीन याचिकाएं, अशोक यादव देव- तीन याचिकाएं, मिथिलेश कुमार सिंह-तीन याचिकाएं, आरपी चतुर्वेदी व अन्य बनाम स्टेट आफ यूपी शैलेंद्र सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया अध्यक्ष विनीत खंड-छह रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन नेशनल एलाइंस आफ पीपुल्स मूवमेंट बनाम उत्तर प्रदेश सरकार याचिका में माग की गई थी। 13 ए माल एवेन्यू से तत्कालीन मुख्यमंत्री को बेदखल किया जाना और राज्य संपत्ति विभाग के बंगले को रि-स्टोर किया जाए। अन्य बंगलों को ध्वस्त न किया जाए। माल एवेन्यू व अन्य रास्तों की बाधाएं दूर की जाएं। सरकारी संपत्ति को किसी राजनीतिक अथवा संस्था के व्यक्ति को स्थानातरित न किया जाए। उप्र राज्य लेजिसलेशन [अधिकारी एवं नेता विपक्ष के आवास संबंधी] अधिनियम-2007 को निरस्त किया जाए।

error: Content is protected !!