अपनों ने छोड़ा गडकरी का साथ, पहुंचे सुषमा की शरण में

नितिन गडकरी पर छाए संकट के बादल तो हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। यहां तक कि अब तो गडकरी की अपनी पार्टी में ही उनके खिलाफ विरोध के सुर बजने लगे हैं। पहले विवेकानंद पर विवादास्पद बयान पर महेश जेठमलानी भड़के। उसके बाद अब बीजेपी के कई आला नेता गडकरी को दोबारा बीजेपी अध्यक्ष पद दिए जाने के खिलाफ खड़े हो गए हैं। पार्टी के कई आला नेता गडकरी के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद ही यह फैसला लिया गया है। ये बैठक पार्टी के आला नेता यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह और राम जेठमलानी के बीच हुई है।

बीजेपी का ये धड़ा पार्टी में हाल ही में चल रही गतिविधियों से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है। ये धड़ा गडकरी को दोबारा अध्यक्ष नहीं बनाना चाहता है। उधर, राम जेठमलानी ने एक टीवी न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा है कि उनके बेटे महेश जेठमलानी का बीजेपी राष्ट्रीयकारिणी से इस्तीफा सही कदम है। राम जेठमलानी ने कहा कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व गडकरी को अध्यक्ष पद से हटाना चाहता है लेकिन कोई खुलकर नहीं बोल रहा है।

गौरतलब है कि स्वामी विवेकानंद और दाउद इब्राहिम का आइक्यू लेवल समान बताकर गडकरी विवादों के घेरे में आ गए हैं। उनके इस बयान पर काग्रेस ने तीखी टिप्पणी करते हुए गडकरी से माफी मागने को कहा है। इस बारे में सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह भाजपा की संस्कृति का उत्कृष्ट प्रदर्शन है। स्वामी विवेकाकंद की तुलना दाउद इब्राहिम से करना देश के सबसे बड़े बुद्धिजीवी का सबसे बड़ा अपमान है। उन्होंने कहा कि स्पष्टीकरण से काम नहीं चलेगा, भाजपा को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए।

कांग्रेस नेता पी सी शर्मा के मुताबिक सारी दुनिया के लोगों ने देखा की कैसे नितिन गडकरी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और फर्जी कंपनियों के नाम पर पैसा बनाया है। ऐसा व्यक्ति अगर स्वामी विवेकानंद की तुलना दाउद से करें तो बिल्कुल हजम नहीं होता है। हम इसकी निंदा करते हैं और उनके खिलाफ केस दर्ज करने की माग करते हैं।

इस बीच, गडकरी के बयानबाजी के बाद पार्टी सदस्य महेश जेठमलानी ने खुली बगावत कर दी है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देकर महेश जेठमलानी ने गडकरी के खिलाफ अंदरूनी चिंगारी को हवा दे दी है। खास तौर पर तब, जबकि गुजरात के चुनावी माहौल में उनकी टिप्पणी ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को असहज करने के साथ कांग्रेस को फिर से एक मुद्दा दे दिया है।

गौरतलब है कि भोपाल में रविवार को एक समारोह में विवादस्पद बयान देकर गडकरी पूरी तरह घिर गए हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अलख जगाने का दावा करने वाली पार्टी के अध्यक्ष ने विवेकानंद के बौद्धिक स्तर की तुलना दाऊद से कर आलोचकों को खुला मंच दे दिया। गडकरी ने कहा कि ‘दोनों का बौद्धिक स्तर एक जैसा था, एक ने सकारात्मक उपयोग किया तो दूसरे ने नकारात्मक।’ विवाद गरमाया तो उन्होंने सफाई दी कि उनकी मंशा यह नहीं थी, लेकिन कोई उनसे सहमत नहीं दिख रहा है। राम जेठमलानी की ओर से की गई खुली आलोचना के बाद उनके पुत्र महेश जेठमलानी ने पत्र लिखकर कहा, ‘जब तक गडकरी पार्टी अध्यक्ष हैं, मेरे लिए नैतिक और बौद्धिक रूप से पार्टी मंच पर काम करना मुश्किल है।’ राम जेठमलानी पहले ही गडकरी से इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। कभी भाजपा के थिंक टैंक रह चुके गोविंदाचार्य ने कहा, ‘गडकरी शायद हालिया घटनाओं से विचलित हो गए हैं।’ उन्होंने आगे जोड़ा-‘जाकी रही भावना जैसी..।’

पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने जरूर गडकरी के बचाव की कोशिश की। हालांकि पार्टी मुख्यालय में मौजूद भाजपा के वरिष्ठ नेता ने छोटी सी टिप्पणी की, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि।’ पहले भी कुछ टिप्पणियों के कारण विवादों में रहे गडकरी का ताजा बयान खुद को उन्हीं को घायल कर गया है। अपना दामन बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहले ही उनकी पीठ से हाथ हटा लिया था। गौरतलब है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवेकानंद के नाम की रैली से चुनावी अभियान की शुरुआत की है। ऐसे में विवेकानंद की दाऊद से तुलना ने जहां कांग्रेस को बड़ा अवसर दे दिया है, वहीं मोदी और पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। बयान की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है। महान विचारक की तुलना अपराधी या माफिया सरगना से कैसे की जा सकती है। उन्होंने भाजपा से माफी की मांग की। वहीं, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया कि अब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रशंसक क्या कहेंगे? एक और प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने भी कहा कि गडकरी के दिल में अगर विवेकानंद हैं तो लोग समझ सकते हैं। तो फिर यह तुलना क्यों? क्या दोनों को वह अपने दिल में रखते हैं।

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