दो दिन के रायबरेली दौरे पर गई सोनिया गांधी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें गांधी परिवार के अजेय दुर्ग रायबरेली में कभी विरोध का सामना करना पड़ेगा। रायबरेली में लालगंज रेल कोच फैक्ट्री में तैयार हुए डिब्बों को रवाना करने गई सोनिया को पहले ही दिन जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। वो भी तब जब सोनिया छह से ज्यादा विकास योजनाओं का शिलान्यास कर चुकी थीं।
दरअसल रायबरेली आईटीआई के कर्मचारी पहले भी अपनी बदहाली का रोना गांधी परिवार के सदस्यों के सामने रो चुके हैं, पर सोनिया सरकार की तरफ से किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया जाता। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी यानी निफ्ट के गेट पर भारी संख्या में लोग तैनात थे। वो अपनी सांसद को समस्या बताना चाह रहे थे। लेकिन वह जैसे ही पिछले गेट से निकलीं लोग फूट पड़े और सोनिया गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। एक और कांग्रेसी कार्यकर्ता उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे, वहीं गुस्से में आए लोग 2014 के चुनाव में सबक सिखाने की बात कर रहे थे।
यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश में लगातार हो रहे दंगों और चरमराती कानून व्यवस्था पर कांग्रेस अध्यक्ष ने एक शब्द भी नहीं बोला। एफडीआइ जैसे मसलों पर भी खामोशी बनाए रखी। अलबत्ता संप्रग सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों के साथ उन्होंने बतौर दीपावली गिफ्ट क्षेत्र में रेलगाड़ी के पहिए बनाने की फैक्ट्री लगाने, सद्भावना एक्सप्रेस और इंटरसिटी का हाल्ट तय करने और सुरक्षा में निवेश बढ़ाने आदि की कई घोषणाएं कीं। सोनिया गांधी ने लालगंज में रेल डिब्बा बनाने की फैक्ट्री का लोकार्पण करके वर्ष 1996 में किया अपना वादा निभाया। शिलान्यास के बाद से रेल कोच कारखाने में उत्पादन न हो पाने से क्षेत्र में कांग्रेस की किरकरी हो रही थी।