गडकरी विरोधी अभियान के पीछे मोदी :वैद्य

नई दिल्ली (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ विचारक एम. जी. वैद्य ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ जारी अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने मोदी पर अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राम जेठमलानी का इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया। वहीं, आरएसएस ने स्पष्ट किया कि वैद्य के विचार निजी हैं और इसका संगठन से कोई लेनादेना नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी वैद्य के विचारों को गलत बताया। वैद्य ने रविवार को अपने ब्लॉग में लिखा था, “गडकरी के खिलाफ अभियान का केंद्र गुजरात में हो सकता है, क्योंकि राम जेठमलानी ने जब गडकरी का इस्तीफा मांगा तो उन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की भी मांग की।” ब्लॉग पर विवाद शुरू होने के बाद सोमवार को वैद्य ने टाइम्स नाउ समाचार चैनल से कहा, “चूंकि जेठमलानी ने एक ही साथ गडकरी के इस्तीफे और मोदी को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की, इसलिए मैंने कहा कि शक की सुई गुजरात की ओर जाती है। मैंने केवल यह कहा कि शक की सुई मोदी की ओर जाती है और यह केवल संदेह है। और यदि, जेठमलानी को अपना विचार रखने की आजादी है तो मुझे भी ऐसा करने का हक है।” टाइम्स नाउ चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, “आरएसएस का इससे कोई लेनादेना नहीं है।” वहीं, वैद्य के बेटे तथा आरएसएस के स्वयंसेवक मनमोहन वैद्य ने समाचार चैनल पर स्पष्ट किया कि ये उनके पिता के निजी विचार हैं। इसका संघ के आधिकारिक विचार से कोई लेनादेना नहीं है। यदि संघ को अपना विचार देना होगा तो ऐसा किया जाएगा।

भाजपा नेता एम. वेंकैया नायडू ने भी वैद्य की बात से असहमति जताते हुए चेन्नई में संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह उनका विचार है। मुझे नहीं मालूम कि उन्हें ऐसी सूचना कहां से मिली कि इसमें मोदी शामिल हैं। यह गलत है।” कांग्रेस ने यह कहते हुए इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि यह भाजपा और आरएसएस का आंतरिक मामला है। वैद्य ने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा, “मोदी में प्रधानमंत्री पद को लेकर बड़ी महत्वाकांक्षा है, क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी तथा गडकरी कह चुके हैं कि वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं है। लेकिन मोदी ने इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं कहा है।”

उन्होंने लिखा, “मोदी को ऐसा लग सकता है कि भाजपा अध्यक्ष के रूप में गडकरी उनके प्रधानमंत्री बनने के अवसर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वह अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए जेठमलानी का इस्तेमाल कर रहे हैं।” उन्होंने जेठमलानी की भी आलोचना करते हुए कहा, “उन्हें गडकरी के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपनी नाखुशी नहीं दिखानी चाहिए थी। भाजपा के किसी भी सदस्य या सांसद को यह लग सकता है कि गडकरी को इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन उन्हें इस मुद्दे को पार्टी के मंच पर उठाना चाहिए।”

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