पटाखे चलाएं, लेकिन सोच-समझकर

दीवाली में पटाखे चलाने का जोश सबमें होता है, लेकिन इस बात ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि जोश में होश न खोया जाए। हमें पटाखे चलाने के साथ-साथ नियम-

कानून की जानकारी भी होनी चाहिए। इसका उल्लंघन करने पर आप जेल भी जा सकते हैं।

पटाखों से ध्वनि प्रदूषण होता है और तय सीमा से ज्यादा आवाज वाले पटाखे चलाने से कानून का उल्लंघन होता है। मौजूदा नियम के तहत 10 बजे रात के बाद पटाखे चलाने पर प्रतिबंध है और इसका उल्लंघन करने पर जुर्माना या छह माह की जेल या दोनों हो सकता है।

कानूनविदें के अनुसार जीवन जीने का अधिकार सबको मिला हुआ है लेकिन इस अधिकार का एक दायरा है जिसके तहत आप किसी के जीवन में दखल नहीं दे सकते हैं। पटाखे चलाकर आप किसी की जिंदगी में खलल नहीं डाल सकते हैं।

वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ध्वनि प्रदूषण कानून की व्याख्या करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में अपने फैसले में ध्वनि प्रदूषण की व्याख्या की थी। फैसले में पटाखे से लेकर गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण के बारे में बताया गया था। पटाखे दो तरह के होते हैं-एक आवाज वाले और दूसरे लाइट वाले। शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में व्यवस्था दी थी कि 10 बजे से लेकर सुबह के छह बजे तक आवाज वाले पटाखे पर प्रतिबंध होंगे।

किसी भी आदमी की सुनने की क्षमता 80 डेसिमल तक होती है, इसे झेला जा सकता है लेकिन इससे ऊपर नुकसानदेह है। इसलिए कोर्ट ने 80 डेसिमल के ऊपर के पटाखे पर भी प्रतिबंध लगा रखा है।

इस कानून का उल्लंघन करने पर आईपीसी की धारा-188 के तहत पुलिस केस दर्ज कर सकती है। पुलिस या तो शिकायत मिलने पर या सीधे मामला दर्ज कर सकती है। मामले में दोषी पाए जाने पर छह महीने तक कैद की सजा का प्रावधान है। पटाखे से परेशानी होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सामने भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। विभाग प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ चलान काटता है।

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