संतोष गंगेले कर्मयोगी ने लाखों बच्चों में देष प्रेम की अलख जगाई

संतोष गंगेले
छतरपुर -भारतीय इतिहास में समाजसेवा और समाजसुधार करने वाले हजारों-हजारों महापुरूषों ने अपनी कथनी और करनी से भारतीय संस्कृति, संस्कारों और सभ्यता को बचाने केलिए कार्य किए है लेकिन बर्तमान भौतिकवादी युग में आज किसी व्यक्ति के पास अपनो से मिलने के लिए एक घंटें का समय नही होता है, इस मॅहगाई के समय में एक रूपया का धन भी समाजसेवा और दान करने केलिए व्यक्ति कई वार सोचता है लेकिन छतरपुर जिला के कस्बा नौगॉव से लगे ग्राम बीरपुरा में 11 दिसम्बर 1956 को एक जुझौतिया ब्राम्हण किसान, मजदूर संत परिवार में जन्म लेने वाले समाज सुधारक, समाजसेवी संतोष गंगेले ने अपने कर्मो के माध्यम से समाजसेवा कर बुन्देलखण्ड का कर्मयोगी साबित कर दिया । उन्हेाने अपने निजी बाहन और अपेन घन को खर्च कर गर्मी, सर्दी, बर्षात के दिनों में हजारों षिक्षण संस्थाओं में पहुॅच कर लाखों बच्चों में भारतीय संस्कृति एवं देष प्रेम की भावना की अलख जा दी है । आज छतरपुर, टीकमगढ़ पन्ना, महोवा, हमीरपुर, ललितपुर, झॉसी जिले के लाखों बच्चों में भारतीय संस्कृति संस्कारों एवं सभ्यता के लिए अपने विचारों से जागरूकता कर उन्हे जीवन जीने की प्रेरणा दे चुके है ।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी जीवनी बहुत ही संघर्षपूर्ण एवं कठिनाईयों से भरी हुई हैं उन्होने अपने बचपन से आज तक घर-परिवार समाज और देष सेवा के लिए पूरा जीवन न्यौछावर किया है उनके जीवन से लाखों बच्चों ने प्रेरणा लेकर समाज और देष सेवा करने का संकल्प लिया है । समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी ने अपनी माता-पिता और गुरूओं के विचारों, बचनों और उनकी षिक्षा से समाजसेवा का कार्य सीखा, आज उन्हे समाजसेवक, समाज सुधारक, कर्मयोगी के रूप में पहचाना जाने लगा है । उन्हे अपना स्वार्थ त्याग कर परमार्थ, परोपकार, मानवसेवा, अध्यात्मिकता के मार्ग से नया रास्ता स्वयं तैयार करते हुए भारतीय संस्कृति बचाने केलिए षिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समरसता, समाज के लिए तन-मन-धन से कार्य करने का संकल्प लिया है जिस कारण वह एक दषक से अधिक समय से बुन्देलखण्ड के हजारों ग्रामों का भ्रमण कर चुके है । मध्य प्रदेष के लगभग 22 जिलों में स्वंय के वाहन से भ्रमण किया तथा उत्तर प्रदेष के 10 जिलों में भ्रमण कर सामाजिक कार्यो को जन जागरण के क्षेत्र में कार्य किए है । समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी समय और परिस्थितियो के अनुसार नषा मुक्ति, दहेज एक कंलक है, बेटियों की चरित्र रक्षा, स्वच्छता, समरसता, भारतीय प्रजातंत्र की रक्षा के लिए संविधान की मौलिक अधिकारों के लिए कार्य करते आ रहे है ।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी को मध्य प्रदेष के विभिन्न स्थानों पर समाज गौरव, समाजसेवा, देष सेवा, पत्रकारिता, जन जागरूकता, पर्यावरण, स्वच्छता, मानवसेवा के लिए विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित किया गया । पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्रीय पत्रकार संगठन आई आई एम ए संगठन ने 31 मई 2015 को चन्द्रलेख होटल मथुरा उ0प्र0 में सम्मानित किया । बुन्देलखण्ड गौरव सम्मान 1 जुलाई 2015 को आजाद भवन दिल्ली में सुश्री उमा भारती जी केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य के कर कमलों से सम्मानित किया गया । टीकमगढ़ लोकसभा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री डॉ बीरेन्द्र खटीक जी ने उनको तीन वार समाजसेवा के लिए अपने क्षेत्र में सम्मानित किया । 9 जनवरी 2017 को राजस्थान पत्रकार संध ने बसवा जिला दौसा में राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री श्री रामदास आठवले जी ने सम्मानित किया तथा 15 जनवरी को पत्रलिखकर सामाजिकम कार्यो की सराहना की है । नौगॉव नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अभिलाषा-धीरेन्द्र षिवहरें उनका नागरिक अभिनंदन कर चुकी है ।
संलग्न पत्र-2 समाचार -संलग्न

बुन्देलखण्ड विकास प्राधिकरण अध्यक्ष डॉ रामकृष्ण कुसमरिया जी मध्य प्रदेष स्वतंत्रता संग्राम सैनानी संघ श्री रामकृपाल जी चौरसिया, स्व0 श्री प्रतापसिंह नन्हे राजा स्वतंत्रता संग्राम सैनानी व्दारा अपनी जीवन काल में लिखित सराहना कर सरकार से सम्मानित करने को लिखा था । छतरपुर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री राजेष प्रजापति , चंदला क्षेत्र के विधायक श्री आर डी प्रजापति ने गौरिहार जनपद कार्यालय में उनका अभिनंदन और सम्मान कर बुन्देलखण्ड के गौरव को स्थापित किया है । उनका व्यपारी महासंघ जिला पंचायत, क्षेत्रीय विधायक , जनपद अध्यक्ष, अनेक पत्रकार संगठनों , प्रषासनिक अधिकारियों ने इनके कार्यो के लिए मंचों पर सम्मानित किया । प्रिंट मीडिया और सोषल मीडिया में उन्हे सम्मान जनक स्थान मिलने के कारण गॅूगल ने भी उनको इंटरनेट पर स्थान दिया है । समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी अपनी 62 बर्ष की उम्र पार करने के बाद भी वह प्रतिदिन 100 से 200 किमी मोटर साईकिल से यात्रा कर 3 से 6 स्कूलों में पहुॅचते है । सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उनका दलित प्रेम मानवता से परिपूर्ण मिलता है ।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी बर्ष 1980 से प्रिंट मीडिया पत्रकारिता से जुड़े है तथा प्रदेष और देष के अनेक पत्रकार संगठनों में रहकर समाज पीड़ित परेषानों की मदद की । ईमानदारी की पत्रकारिता की साख को बचाकर पत्रकारों, गरीवों किसानों, मजदूरा और आम जनता की आवाज बनकर प्रजातंत्र की रक्षा के लिए जनता और प्रषासन, षासन के बीच धुरी के रूप में कार्य किया । बेटी बचाओं- बेटी पढ़ाओं, स्वच्छ भारत अभियान , नषा मुक्ति , बाहन दुघर्टनाओं को रोकने, दहेज के कारण होने वाली बेटिओं की मौतों से पीड़ित होकर समाजसेवा में लगे है । प्रत्येक षिक्षण संस्थाओं के प्रतिभाओं को निखारने, जीवन जीने के अनेक उचार, स्वास्थ के लिए सर्तक रहकर परिवार समाज और राष्ट्र भक्ति के प्रति विचारेां ओर नेतिक षिक्षाभरी कहानियों से बच्चों में ऊर्जा भरते है । बच्चों को प्रतिभाषाली बनाने के लिए लाखों बच्चों को वह प्रोत्साहित एवं सम्मानित कर चुके है ।

error: Content is protected !!