पहली बार किसी पार्टी ने दिया दिव्यांगों को विधानसभा पहुंचने का मौका

देश के पंचायती संगठनों से उभरी भारतीय पंचायत पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की ओर से दिव्यांग प्रत्याशियों को टिकट देने का फैसला किया है। राजस्थान समेत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़, तेलंगाना एवं मिजोरम में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी भारतीय पंचायत पार्टी की इस अनूठी पहल ने राजस्थान विधानसभा चुनावों को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। पार्टी ने फिलहाल 50 दिव्यांग प्रत्याशियों की एक लिस्ट तैयार की है जिनमें ज्यादातर सीटों पर महिलाओं को भी मौका दिया गया है। यह स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में पहली बार है जब कोई राजनीतिक पार्टी दिव्यांग जनों को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है। बीपीपी ने अपने इस कदम के जरिये भाजपा और कांग्रेस सरीखी अन्य दिग्गज पार्टियों को इस बात का संकेत दे दिया है कि पार्टी हर वर्ग विशेष को समानता के साथ आगे लाने और एक आम नागरिक से जुड़ी जमीनी समस्याओं को प्रमुखता देने में विश्वास रखती है। बीपीपी के इस फैसले से दिव्यांगों को भी संवैधानिक सभ्यता से जुड़ने और राजनीतिक के माध्यम से देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का मौका मिलेगा।
भारतीय पंचायत पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश मलिक जो खुद एक दिव्यांग हैं, उन्होंने पार्टी का नारा सांझा करते हुए कहा कि, ष्आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम दिव्यांग हासिये पर क्यों हैं! यह सोचने वाली बात है इसलिए अब हम बीपीपी के माध्यम से श्दया नहीं सम्मान चाहिए, कृपा नहीं अधिकार चाहिएश् के नारे को बुलंद कर रहे हैं। बीपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश यादव ने कहा कि जब प्रशासनिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों से लेकर गायन वादन जैसे क्षेत्रों में विकलांग जन सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं तो फिर राजनीति में भी वह निश्चित रूप से सफल हो सकते हैं। हमारी पार्टी नैतिक रूप से दिव्यांग जनों के साथ बनी हुई है।
भारतीय पंचायत पार्टी के कार्यालय में आयोजित हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस विषय पर अधिक जानकारी देते हुए नरेश यादव ने कहा कि, ष्देश की किसी भी पार्टी ने जिनको नेशनल पार्टी का दर्जा प्राप्त हैं, पिछले 70 वर्षों में कभी भी किसी दिव्यांग को अपने प्रत्यासी के रूप में चुनावों का हिस्सा नहीं बनाया। राजस्थान में लगभग 15 लाख से अधिक दिव्यांग भाई बहन हैं लेकिन कांग्रेस-बीजेपी जैसे दलों ने आजाद भारत के इतिहास में उन्हें कभी भी मुख्य राजनीति का हिस्सा नहीं बनने दिया। भारतीय पंचायत पार्टी ने किसान, मजदूर, भूमिहीन व दिव्यांग वर्गों के लिए, जिसके लिए कोई भी राजनीतिक दल आज तक आगे नहीं आया हैं, उन्हें लोकसभा-विधानसभा में पहुंचने का अवसर दिया है, क्योंकि जब तक वह खुद विधानसभा और लोकसभा का हिस्सा नहीं बनेंगे तब तक उनकी बात कोई नहीं सुनेगा।ष्

नरेश यादव के अनुसार, इस देश में अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि जब तक आप अपने हक व अधिकार के लिए सड़कों पर नहीं उतरेंगे तब तक आपके मुद्दे की सुनवाई नही होगी। ऐसे में जरूरी है कि इन वर्गों से आने वाले इच्छुक उम्मीदवारों को सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने कहा कि आज संविधान की कसम खाने वाले संसद में खड़े होकर झूठे आंकड़े पेश करते हैं, इसलिए ऐसे लोगों के पास देश की जिम्मेदारी नही होनी चाहिए। यह भारतीय पंचायत पार्टी की मांग भी है और समय की पुकार भी। आप देख सकते हैं कि देश में किसानों और युवाओं की कितनी बुरी स्थिति है। युवाओं के पास रोजगार नही है, किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। लिहाजा जरूरी है कि देश की भागदौड़ ऐसे हाथों में हो जो देश से गरीबों को हटाने के बजाय गरीबी हटाने और जन मानस को एक करने की दिशा में काम करे।

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