दादा खण्डवा का चेहरा थे .. डाँ. प्रतापराव कदम

गमगीन होने पर माखनलाल दादा रामादादा को याद करते थे। श्री कांत साकल्ले ।

दादा के 101 वे जन्मदिन के अवसर पर डाँ. प्रतापराव कदम ने कहा कि दादा राम नारायण उपाध्याय खण्डवा का चहरा थे। वे खण्डवा की पहचान थे । दादा के लोक साहित्य पर प्रकाश भी डाला। श्री श्रीकांत साकल्ले ने कहा
कि जब माखनलाल दादा का मन उदास होता था तो मायूसी को दूर करने के लिए वे रामादादा को बुलाने हेतु श्री कांत जोशी को कहते थे । जोशी जी दादा के भांजे थे।उनके सामने ही रहते थे। रामदादा वहां जाते ही माखनलाल जी को कुछ हास्य सुनाते व उनकी उदासी दूर हो जाती और खूब ठहाके लगने लगते और यह सिलसिल खूब देर चलता। म. प्र. लेखक संघ भोपाल की जिला ईकाई खण्डवा के तत्वावधान में लोक संस्कृति पुरुष पं.राम नारायण जी उपाध्याय ( पद्मश्री व साहित्य वाचसपति )का 101 वा जन्मदिन बहुत ही गरिमा पूर्ण वातावरण में हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर श्री प्रमोद जैन ने माँग की कि बड़ेबम पर बने द्वार का नाम पं. राम नारायण उपाध्याय के नाम पर किय जावे। जिसका करतल ध्वनि से सब ने एक मत से समर्थन किया । अध्यक्षता करते हुए जगदीश चंद्र चौरे ने कहा दादा कहा करते थे मख्खन पहले खाने के काम आता था अब लगाने के काम आता है ।। .. डाँ. नीरज दीक्षित. गोविंद शर्मा. कैलाश जैन. प्रतापराव कदम जगदीश चंद्र चौरे श्री कांत साकल्ले ने दीप प्रजज्वलित किया । श्री राधेश्चायाम साख्य . श्री देवेन्द्र जैन. श्री पढ़रीनाथ पटेल श्री महेश मूलचंदानी. श्री हरिओम भावसार. अनिल बंसल . श्री चंद्रकांत साँड . श्रीमती कविता शरद. ने भी उदगार व्यक्त किए । कार्यक्रम सुनील चौरे उपमन्यु. वैभव कोठरी. श्री सुरेंद्र जैन .नमन चौरे . श्री सचिन साकल्ले श्रीमती सुभद्रा शिवनारायण उपाध्याय .श्रीमती अनिता सिंह .अनिमेष उपाध्याय श्रीमती कांति चौरे. श्रीमती साधना चौरे . ग्रंथ उपाध्याय. सुर्यवंशी. राघवेंद्र दुबे .उत्तरा चौरे.आदि उपस्थित थे। श्रीमती अनुजा उपाध्याय. श्रीमती मंगला चौरे ने माना आभार गणगौर गीत सुनाते हुए साधना उपाध्याय ने माना ।

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