भाग दौड़ वाली जिन्दगी से व्यक्ति अपना स्वास्थ्य खोता जा रहा है

आज दिनांक 21 मई ( ) श्री जिनषासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर लाल मंदिर नाका मदार अजमेर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवति षिष्य क्षुल्लक 105 श्री नयसागर महाराज के द्वारा आयोजित आज तृतीय दिन सर्वोदय संस्कार षिक्षण षिविर मे क्षुल्लक नय सागर जी महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कल्याणक किसे कहते है और तीर्थंकरो के कितने कल्याणक होते है। तीर्थकर महापुरूष के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान एवं निर्माण के समय इन्द्र, देवगण तथा मनुष्य के द्वारा जो विषेष उत्सव मनाया जाता है उसे कल्याणक कहते है। कल्याणक पॉच प्रकार के होते है। पहला गर्भ कल्याणक जिसमें सौधर्म इन्द्र अपने अवधि ज्ञान से भगवान के गर्भावत्रण को निकट जानकर कुबेर को नगरी का निर्माण एवं तीर्थंकर के माता पिता के गर्भ प्रतिदिन, प्रातः, मध्याहान्, सांयकाल तथा मध्यरात्री में चार बार साढे तीन करोड़ रत्न की वर्षा करने की आज्ञा देता है। दूसरा जन्म कल्याणक जिसमें गर्भा अवधि पूर्ण होने पर जिन माता तीर्थंकर को जन्म देती है जन्म होते ही तीनो लोको में आनन्द फैल जाता है। सौधर्म इन्द्र देवियों के साथ आकर उत्सव सम्पन्न करता है। बालक को सुमेरू पर्वत ले जाकर 1008 कलषो से अभिषेक करता है। तीसरा तप दीक्षा कल्याण जिसमें युवा होने पर राज्य पद को स्वीकार नहीं करते है। तब देवगण आकाष मार्ग से पालकी में तीर्थकर को विराजमान करके दीक्षा वन तक ले जाते है। देवगण तीर्थकर की विषेष पूजा कर अपने अपने स्थान चले जाते है। चौथा ज्ञान कल्याण जिसमें देव मनुष्य, विद्याधर उपदेष सुनते है। पॉचवा निर्माण मोक्ष कल्याणक जिसमें उपचारण मात्र से काल से मोक्ष निर्माण को प्राप्त हो जाता है। उसी समय तीर्थंकर मोक्ष निर्माण प्राप्त कर तीर्थंकर बन जाते है।
यह जानकारी देते हुए प्रचार प्रसार संयोजक राजकुमार पॉण्डया ने बताया कि षिविर में प्रषिक्षक बाल ब्रहमचारी मनोज जैन महान भैयाजी के द्वारा बताया कि पूर्ण स्वस्थ रहने के निम्न सूत्र है जिसमें बाजार के पैकेट बंद नमक को कभी ना खाये सिर्फ सैन्दा नमक का ही सेवन करे क्योंकि यह 48 प्रकार के रोगो को रोकता है। सब्जी, दाल, रोटी को बार-बार गरम ना करे। ऐसा करने से हमारा जीवन रोगो से बच सकता है। इसी क्रम में रात्रि 9ः00 बजे योगाचार्य बाल ब्रहमचारी श्री सुषील भैया जी द्वारा योग कराकर योग की षिक्षा दी गई तथा कहा कि प्रतिस्पर्धा की दौड मे व्यक्ति अपना सुख चैन खो चुका है तथा भाग दौड़ वाली जिन्दगी से अपना स्वास्थ्य खोता जा रहा है जिसे रोकने के लिए योग एक अति उत्तम साधन है। आज षिविरार्धियों को अल्पाहार प्रमोद कुमार धमेन्द्र कुमार पुनविया परिवार की ओर से वितरित किया गया। अन्त में षिविर संयोजक धर्मेष जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।

(राजकुमार पॉण्डया)
प्रचार प्रसार संयोजक
मो. 9352000220

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