सत्य प्रताडित हो सकता है परास्त नहीं

 मामून खान की माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ती श्री आनन्द पाठक के एक निर्णय से 2004 से नायब तहसीलदार एवं 2011 से तहसीलदार पद पर पदस्थापना की जावेगी
 जूनियर प्रषासकीय सेवा सीमित भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा में संपूर्ण म.प्र. में 14वां स्थान निर्धारित
 वर्ष 2004 से वेतन निर्धारण एवं पेंषन तक में मिलेगा लाभ।

विदिषा:- मालिक के यहां देर है अंधेर नहीं। न्याय देर से ही सही लेकिन मिलता जरूर है। भारतीय न्याय व्यवस्था में एक योग्य व्यक्ति सरकार से लडकर भी अपना अधिकार ले सकता है। बषर्ते पैरवी सही की जाये। वरिष्ठ अधिवक्ता पवन कुमार द्विवेदी ने वखूबी यह सिद्ध किया है। तहसील कार्यालय में पदस्थ डब्ल्यू बी एन श्री मामून खान ने जिन्होंने जूनियर प्रषासकीय सेवा वर्ष 2002 सीमित भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा की मेरिट लिस्ट में चौदहवीं रैंक होने पर भी चयन सूची से बाहर होने पर माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया 14 साल का लंबा वक्त तो लगा लेकिन वो उच्च न्यायालय से अपना अधिकार प्राप्त करने में सफल रहे। उन्हें सीनियरटी के साथ तहसीलदार पद भी वर्ष 2011 से मिलेगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2002 में म.प्र. जूनियर प्रषासकीय सेवा से सीधी भरती द्वारा नायब तहसीलदार के पदों को भरने हेतु सीमित प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन राजस्व विभाग द्वारा कराया गया जिसमें राजस्व मंडल संभागीय आयुक्त कलेक्टर एवं आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त के कार्यालय तथा उनके अधीनस्थ कार्यालय के लगभग सात हजार लिपिकों ने भाग लिया। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण 320 व्यक्तियों में से 50 व्यक्तियों का चयन अंतिम रूप से नायब तहसीलदार पर पर संपूर्ण म.प्र. के लिये किया गया। इसमें विदिषा जिले के नरेन्द्र सिंह, संतोष बिटौलिया, जिया फातमा नायब तहसीलदार बनने में सफल हो गये।
जिसमें चयनकर्ता प्रमुख सचिव राजस्व म.प्र. ने लिखित परीक्षा में प्राप्तांक एवं एसीआर के आधार पर चयन किया गया। अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ मार्क 164.4 रहा। अनारक्षित पुरूष के अठारह पद थे। अपना चयन न होने पर श्री मामून खान ने परीक्षा चयनकर्ताओं के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में याचिका दायर कर दी, फिर उन्होंने सूचना का अधिकार कानून से राजस्व विभाग से लंबे संघर्ष के बाद राज्य सूचना आयोग के निर्णय से अपने अभिलेख प्राप्त किये। एक सामान्य लोक सेवक ने अपने विभाग के शीर्षस्थ अधिकारियों से आर.टी.आई. के माध्यम से प्रतिलिपि कैसे प्राप्त की होगी सहज समझा जा सकता है। आखिरकार माननीय न्यायमूर्ति श्री आनन्द पाठक साहब ने 22.8.19 को यह फेसला दिया कि श्री मामून खान को मेरिट लिस्ट में वर्ष 2004 से समस्त लाभ नायब तहसीलदार के पद के अनिवार्यतः दिये जायें और इसके पष्चात वर्ष 2011 से तहसीलदार के पद पर पूर्व की मेरिट अनुसार पूर्व में नियुक्त नायब तहसीलदार (वरीयता क्रम) क्रमषः 15वां गोपाल शरण पटेल(164.50), 16वां अनिल कुमार(164.08), 17वां संतोष बिटौलिया(164.04), को संषोधित करते हुये 15वां (164.60) मामून खान, 16वां गोपाल शरण पटेल(164.50), 17वां अनिल कुमार(164.08), 18वां संतोष बिटौलिया(164.04) करने का आदेष विभाग प्रमुख को दिया है। माननीय उच्च न्यायालय ने माना कि विभाग ने मामून खान का मूल्यांकन त्रुटिपूर्ण किया था जिसे सुधारा गया है।
दो माह के भीतर अनिवार्यतः मामून खान की 2004 से नायब तहसीलदार, 2011 से तहसीलदार पद पर पदस्थापना करने के आदेष राजस्व विभाग को दिये हैं।
मामून खान दैनिक नीर सिन्धु समाचार पत्र के प्रधान संपादक स्व. यूनुस खान के छोटे भाई हैं। उन्हें सनातन धर्म के चारो वेद, छः वेदांग, उपनिषदों, जैन दर्षन के ग्रंथ 11 अंग, आगम इत्यादि, सिक्ख धर्म के गुरूगं्रथ साहिब समेत ईसाई धर्म के ओल्ड टेस्टामेंट एवं न्यू टेस्टामेंट अन्य धर्मों बहाई एवं यहूदत षिन्तो, धर्मों का ज्ञान है। उनका विष्वास मानव मात्र की एकता से हैं।
सफलता में आर.टी.आई. की मुख्य भूमिका:- उनकी सफलता में आर.टी.आई. एक्ट 2005 की मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने लोक सूचना अधिकारी से लेकर राज्य सूचना आयोग तक अपने विभागीय दस्तावेज पाने में संघर्ष किया और अंततः अपना अभिलेख पाने में सफल रहे।
जान पर खेलकर निभाया कर्त्तव्य:- मामून खान ने वर्ष 1996 में केन्द्रीय सूचना आयोग दिल्ली द्वारा आतंकवाद से ग्रस्त जम्मू काष्मीर राज्य के चुनाव में मदतान अधिकारी के रूप में विषेष ड्यूटी का निर्वहन किया था। 30 मई 1996 को पोलिंग बूथ श्रीनगर में टाईम बम के विस्फोट से वो बाल बाल बचे थे। उनकी विषेष सेवा के लिये केन्द्रीय चुनाव आयोग और म.प्र. सरकार के मुख्य सचिव ने प्रषस्ति पत्र दिया था।

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