अभिनेता प्रसाद जवादे ष्आम्बेडकरष् की भूमिका में होंगे

जब को कलाकार किसी किरदार को निभाने की तरफ कदम बढ़ाता है तो तैयारी केवल इसलिए नहीं की जाती है कि वह अपने संवाद ठीक से बोल सके बल्कि तैयारी इसलिए भी की जाती है कि वह उस चरित्र के व्यक्तित्व को समझ सके और उसे सही मायनों में जी सके। लोकप्रिय मराठी अभिनेता प्रसाद जवादे वर्तमान में -ज्ट के दमदार सोशल ड्रामा एक महानायक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर में भारतीय संविधान के जनक डॉ. बी.आर. आम्बेडकर की भूमिका निभा रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसी प्रतिष्ठित व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी हो, तो किरदार को पर्दे पर निभाने से बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता है।

डॉ. आम्बेडकर में कई सकारात्मक खूबियां थीं और एक उत्सुक पाठक थे, जो हमेशा कुछ पढ़ने और सीखने के लिए तैयार रहते थे। उनके व्यक्तित्व के इस पहलू से प्रभावित होकर प्रसाद ने भी रोजाना पढ़ना शुरू किया है, ताकि पढ़ने के शौक को वे अपनी आदत बना सकें। फिलहाल वे बाबासाहेब पर अधिक से अधिक सूचनाएं इकठ्ठा करने में व्यस्त हैं। ऐसे में सेट्स पर भी शॉट्स के दौरान वे किताबों में मशगूल रहते हैं। प्रसाद स्वयं पढ़ने की आदत अपनाना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था परंतु इस किरदार को निभाने के चलते उनमें यह शौक पनप गया। प्रसाद कहते हैं, “जिंदगी की भागदौड़ के बीच पढ़ना एक आदत है जिसे हममें से अधिकांश ने दूर किया है। मैं पिछले कई महीनों से पढ़ने की आदत विकसित करने की कोशिश कर रहा था और अब मुझे ऐसा करने के लिए एक प्रेरणा मिल गई है। डॉ. आम्बेडकर जैसे विशाल व्यक्तित्व को निभाने की अपनी चुनौतियां हैं। उनके कामों को पढ़ना, उनकी जीवन शैली अपनाना, उनका स्वभाव अपनाना ये सभी ऐसी चीजें हैं जिन्होंने मेरे लिए इस यात्रा को बेहद रोमांचक, आसान और फलदायी बना दिया है। उनके काम, जीवनशैली और पढ़ने की आदत इत्यादि ने इस यात्रा को मेरे लिए इतना अधिक रोमांचक, समृद्ध और सरल बना दिया है। मैं अक्सर शूट में उलझा रहता हूँ, तो ऐसे में अपने समय का अच्छे से सदुपयोग करने के लिए मैं सेट पर शूट के बीच का समय चुनता हूँ। मैं फिलहाल उनकी आत्मकथा (जीवनी) ‘वेटिंग फॉर ए वीजा’ पढ़ रहा हूँ और इस किताब में बताए गए घटनाक्रमों में पूरी तरह से डूबा हुआ हूँ।”

उनके किरदार के बारे में पढ़ने से प्रसाद को क्या सीख मिली है, यह पूछने पर उन्होंने कहा, “उनके जीवन की पेचीदगियों को पढ़ते हुए और फील करते हुए, मुझे महसूस हुआ कि डॉ. बी आर आम्बेडकर ने अपने घर में और अपने जीवन में भी एक निश्चित आधुनिक संस्कृति को अपनाया था। उन्होंने कभी खुद को सीखने तक सीमित नहीं रखा बल्कि उन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाया भी। इस बात ने मुझे गहरे तक अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रभावित किया साथ ही खुले विचार रखते हुए आधुनिक विचारों और प्रणालियों को अपनाने की भी सीख दी।”

बाबा साहेब कितने मजबूत व्यक्तित्व के धनी थे, यह इसी बात से पता चलता है कि उनके इस किरदार को तैयार करते हुए प्रसाद जवादेे न केवल एक अभिनेता बल्कि एक इंसान के तौर पर भी बेहतर हुए हैं। ऐसे में यह शो जीवन के प्रति दर्शकों के दृष्टिकोण में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

किरदार की तैयारी करते हुए प्रसाद जवादे एक बेहतर अभिनेता के साथ-साथ एक व्यक्ति के रूप में विकसित हुए हैं। यह दिखाता है कि आम्बेडकर एक मजबूत व्यक्तित्व थे और यह शो किस तरह जीवन के प्रति दर्शकों के नजरिए में परिवर्तन ला सकता है।

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