निराकार का कभी ध्यान हो ही नही सकता : जगतगुरु

मुजफ्फरपुर/ बंदरा : निराकार का कभी ध्यान हो ही नही सकता, प्रभु श्रीराम निराकार ब्रह्म है। भगवान श्रीराम का चरण – कमल ही अद्वैत है। प्रनतपाल भगवान का विशेषण है। ऐश्वर्य से भगवान श्री राम ने तारका सुबाहु का वध किया, धर्म से विद्या पाई, यश से अहिल्या का उधार किया एवं वैराग्य से सीता से विवाह किया। सीता जी प्रेमा भक्ति है। बिना वैरागी बने प्रेम की प्राप्ति नही हो सकती। भगवान शंकर जी ने राम जी को रामचरितमानस के बालकांड में वैराग्य कहा। उक्त बातें प्रखंड क्षेत्र के मतलुपुर स्थित बाबा खगेश्वर नाथ महादेव मंदिर परिसर में श्री रामकथा के चौथे सत्र में बुधवार को जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कही।

जगतगुरु ने गीता प्रेस द्वारा हनुमान चालीसा में लिखित पंक्ति शंकर सुवन केशरी नंदन को छलावा बताया। उन्होंने कहा कि शंकर स्वयं ही केशरी नंदन है यानी शंकर ही हनुमान है। जबकि गीता प्रेस ने शंकर सुवन कहा है, जो पूर्णतः गलत है। उन्होंने अहिल्या उद्धार की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि अहिल्या उद्धार की कथा को 108 भावों में कहा जा सकता है। सुनो गुरुवर के भगवान लिपट जाऊ चरणों में…भजन का अभिप्राय बताते हुए महाराज श्री ने कहा कि जिस तरह से अपने चरण कमल रज से प्रभु ने अहिल्या का उद्धार किया उसी तरह हमें भी अपने चरण कमल की रज देकर कृतार्थ कर दीजिए।

कथा में भाग लेने पँहुचे राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल ने बाबा खगेश्वरनाथ और जगतगुरू का दर्शन कर आशीर्वाद लिया। साथ ही साथ मन्दिर प्रांगण और बाबा फिशरीज फॉर्म में पौधरोपण कर जल-जीवन हरियाली पर जोड़ दिया। मौके पर मुख्य यजमान मतलुपुर मुखिया इंदु देवी और सहारा इंडिया,पियर शाखा के ब्रांच मैनेजर अशोक कुमार, पूसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव, पूर्व कुलपति गोपालजी त्रिवेदी, मंदिर के प्रधान पुजारी राजन झा, जदयू अध्यक्ष मनोज कुशवाहा, भाजपा अध्यक्ष विपुल कुशवाहा, बैद्यनाथ पाठक, रमण त्रिवेदी, ललन त्रिवेदी, श्यामनन्दन ठाकुर, वीरचंद ब्रह्मचारी, रामसकल कुमार समेत सैंकड़ो लोग उपस्थित थे।

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