विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर प्रधान मंत्री द्वारा युवाओं को स्‍वयं कुशल, पुन: कुशल बनने और कौशल उन्‍नयन करने के लिए प्रेरित करना

आज विश्व युवा कौशल दिवस और, स्किल इंडिया ’मिशन की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित डिजिटल स्किल्स कॉन्क्लेव के अपने संदेश में, प्रधानमंत्री ने बदलते कारोबारी माहौल और बाजार की स्थिति में युवाओं को तेजी से प्रासंगिक बने रहने के लिए स्‍वयं को कुशल, पुन: कुशल बनने और कौशल उन्‍नयन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस अवसर पर देश के युवाओं को बधाई दी और कहा कि यह दुनिया नए कौशल हासिल करने की युवाओं की शक्ति और क्षमता के कारण उनसे संबंधित रही है।
उन्होंने कहा कि आज ही के दिन पांच साल पहले शुरू किए गए स्किल इंडिया मिशन ने कौशलीकरण, पुन: कौशलीकरण और कौशल उन्‍नयन के लिए एक विशाल बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है और स्थानीय और वैश्विक स्तर पर रोज़गार प्राप्त करने के अवसरों को बढ़ाया है। इसने देश भर में सैकड़ों प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित किए हैं और आईटीआई इकोसिस्‍टम की क्षमता में वृद्धि हुई है। इन ठोस प्रयासों के कारण, पिछले पांच वर्षों में पांच करोड़ से अधिक युवा कुशल हुए हैं। हाल ही में कुशल कर्मचारियों और नियोक्ताओं की मैपिंग के लिए शुरू किए गए असीम (आत्‍मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्‍ता मैपिंग) पोर्टल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इससे उन कुशल श्रमिकों जिनमें अपने घर लौट चुके प्रवासी कामगारों को आसानी से नौकरी मिलने में और नियोक्ताओं को माउस के एक क्लिक पर कुशल कर्मचारियों से संपर्क करने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रवासी श्रमिकों के कौशल से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बदलने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कौशल की विविधता पर बल देते हुए कौशल को एक उपहार के रूप में वर्णित किया जिसे हम खुद को दे सकते हैं और कहा कि कौशल कालातीत, अद्वितीय, एक खजाना और एक साधन है जिसके द्वारा न केवल रोजगार प्राप्‍त किया जा सकता है, बल्कि एक संतोषजनक जीवन जीने में भी मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि नए कौशल हासिल करने के लिए एक प्राकृतिक आकर्षण एक व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा और प्रोत्साहन प्रदान करता है। कौशल केवल एक आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि हमारीप्रतिदिन की दिनचर्या में जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का एक कारण है।
प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में ‘ज्ञान’ और ‘कौशल’ के बीच के अंतर को भी उजागर किया। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए इसे समझाया कि यह जानना कि एक साइकिल कैसे चलती है यह ज्ञान है,जबकि वास्तव में इसे चलाने में सक्षम होना एक कौशल है। युवाओं के लिए दोनों के बीच के अंतर और उनके विभिन्न संदर्भों और निहितार्थों को महसूस करना महत्वपूर्ण है। बढ़ईगीरी से एक उदाहरण के साथ, उन्होंने कौशलीकरण, पुन: कौशलीकरण औरकौशल उन्‍नयन के बीच की बारीकियों को समझाया।
उन्होंने आगे देश में उपलब्ध कौशल अवसरों को भुनाने के लिए देश की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का उदाहरण दिया जहां भारतीय कुशल जनशक्ति वैश्विक मांग को पूरा कर सकती है। उन्होंने इस मांग को पूरा करने और अन्य देशों के साथ भारतीय मानकों को संरेखित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसी तरह, उन्होंने सुझाव दिया कि समुद्री स्थितियों की जानकारी रखने वाले भारतीय युवा इस क्षेत्र में बढ़ती मांग के कारण दुनिया भर के मर्चेंट नेवी में विशेषज्ञ नाविकों के रूप में योगदान दे सकते हैं।
विश्व युवा कौशल दिवस, जो हर वर्ष 15 जुलाई को मनाया जाता है, इस वर्ष वर्चुअल मोड में मनाया गया। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री, डॉ. महेंद्र नाथ पांडे, कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री, श्री आर.के.सिंह, और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड समूह के अध्यक्ष,श्री ए.एम.नाइक ने कॉन्क्लेव को संबोधित किया। लाखों प्रशिक्षार्थियों के व्यापक नेटवर्क सहित प्रणाली के सभी हितधारकों ने सम्मेलन में भाग लिया।

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