कोविड के बढ़ते संक्रमण को रोकने का बेहतर विकल्प इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट (होम्योपैथी दवा)

कोविड संक्रमित मरीजों को एलोपैथी के साथ होम्योपैथी दवा वितरण के लिये देश व प्रदेश के शासन-प्रशासन को लिखा पत्र
इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट से अस्पतालों में आक्सीजन व बेड के दबाव को कम किया जा सकता है

इन्दौर। पिछले एक वर्ष से अधिक समय से इन्दौर सहित पूरे प्रदेश में तथा सम्पूर्ण देश में भी लोगों द्वारा होम्योपैथिक चिकित्सा (आयुष मन्त्रालय के एडवाइजरी के आधार पर) बतौर इम्युनिटी बूस्टर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने तथा जिन लोगों को कोविड का संक्रमण हो जाता है (कोविड पाॅजिटिव मरीज) अस्पताल में भर्ती होकर चिकित्सा लेने के बावजूद भी अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद घर आने पर जब खाँसी, कमजोरी तथा श्वास की परेशानी हुई तो ऐसे लोगों ने होम्योपैथी चिकित्सा अपनाकर काफी हद तक लाभ पाया और उनको परेशानी से निजात भी मिला।

इन्दौर के होम्योपैथिक चिकित्सक डाॅ.ए.के. द्विवेदी जो कि केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं, ने कोरोना संक्रमण की गति को रोकने का सुझाव दिया है। उन्होंने इन्दौर कलेक्टर मनीष सिंह , प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान , देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मन्त्री हर्ष वर्धन एवं आयुष मन्त्री सहित विभिन्न मंत्रियों को सुझाव दिया कि, एलोपैथिक चिकित्सा के साथ बतौर इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट होम्योपैथिक चिकित्सा दिया जाय तो ऐसे सभी मरीजों को जो कोविड पाॅजिटिव हैं तथा अस्पताल में भर्ती हैं, जिन्हें आक्सीजन की कमी हो रही है, उन्हें होम्योपैथिक दवाईयाँ दी जाती हैं तो काफी हद तक राहत मिल सकेगी। डाॅ. द्विवेदी ने होम्योपैथी की तीन दवाईयाँ (आयुष मन्त्रालय द्वारा जारी होम्योपैथी ट्रीटमेंट गाइडलाईन के आधार पर) सभी मरीजों को (अस्पताल में भर्ती तथा होम क्वारंटाइन) एलोपैथी दवा के साथ दिलाने का आग्रह शासन-प्रशासन से किया है। ये दवाईयाँ हैं-
1. आर्सेनिक एल्बम- बतौर इम्युनिटी बूस्टर तथा कोरोना के भय को कम करने बाबत्।
2. ब्रायोनिया अल्बा- ड्राई कफ (सूखी खाँसी) बाबत्।
3. कार्बो वेज- आक्सीजन सेचुरेशन, श्वास की परेशानी तथा अत्यधिक कमजोरी को कम करने बाबत्।

उपरोक्त दवाईयों को होम्योपैथिक चिकित्सकों (चिकित्सा अधिकारी) की देख-रेख में दिये जाने से बढ़ते कोरोना संक्रमण की गति को नियंत्रित किया जा सकता है साथ ही अस्पतालों में लम्बे समय तक भर्ती रहने के कारण बेड की अनुपलब्धता तथा आक्सीजन के माँग के दबाव को भी कम किया जा सकेगा।

डाॅ. ए.के. द्विवेदी
मो. 9826042287

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