गुजरात चुनाव: कांग्रेस के शेर मोदी के आगे ढेर

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा है। इस जीत ने जहां मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कद को भाजपा के अंदर ऊंचा कर दिया है, वहीं यह भी सच है कि यह पार्टी से ज्यादा मोदी की जीत है। मोदी जिस तर्ज पर राज्य में हैट्रिक लगाने में सफल रहे हैं वहीं उन्होंने साबित कर दिया कि कांग्रेस के पास उनके कद का कोई नेता नहीं है जो उन्हें सीधी टक्कर दे सके। वहीं इस जीत ने मोदी के लिए दिल्ली की भी राह भी आसान कर दी है।

मोदी की जीत और कांग्रेस की हार की वजहों पर यदि बात करें तो पहले माना जा रहा था कि भाजपा से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के कद्दावर नेता केशूभाई पटेल इस चुनाव में भाजपा का समीकरण खराब करने में अहम कड़ी साबित होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केशूभाई ऐसा कोई भी करिश्मा कर पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं।

वहीं कांग्रेस इस चुनाव में अपनी नैया को पार लगाने में तीसरी बार भी नाकाम रही है। खुद सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस चुनाव में जनसभाएं कर मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए थे। लेकिन इसके उलट मोदी ने कांग्रेस पर तो हमेशा निशाना साधा लेकिन कांग्रेस के अलावा अपने विपक्षियों पर सीधा कटाक्ष करने से वह बचे। इसकी एक वजह से यह भी रही कि चुनाव से करीब डेढ़ या दो माह पहले ही मोदी ने मिशन गुजरात को फतह करने की योजना बना ली थी। गुजरात में निकाली गई उनकी यात्रा भी इसका ही एक हिस्सा थी।

गुजरात में मोदी ने 285 से ज्यादा जनसभाएं कीं। इसके अलावा उनके थ्री डी प्रचार ने भी इस चुनाव में अहम भूमिका निभाई। तकनीक कहें या मोदी का प्रभाव दोनों ही तरीकों से मोदी लोगों की भीड़ जुटाने और उनके मतों को अपनी ओर करने में सफल हुए हैं। मोदी और उनके विपक्षियों की जनसभाओं में सबसे बड़ी बात यही रही कि जहां मोदी ने अपने विपक्षियों का कभी सीधे नाम नहीं लिया वहीं उनके विरोधियों ने सीधे मोदी पर न सिर्फ निशाना साधा बल्कि मोदी पर सीधे आरोप भी लगाए।

कांग्रेस की ही यदि बात की जाए तो मोदी के सामने कोई भी नेता टिक नहीं सका। सोनिया ने यूं तो हिंदी में राज्य में खूब भाषण दिए, लेकिन उनके भाषणों में वह बात नहीं थी जो मोदी के भाषणों में दिखाई दी थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण गुजरात समेत किसी भी राज्य के चुनाव में लोगों को अपनी ओर नहीं कर सके हैं। हिंदी और या इंग्लिश उनके बोलने की तरीका कभी नहीं बदला। मनमोहन अपने भाषणों के जरिए जनता से सीधा संपर्क साधने में हमेशा नाकाम साबित हुए हैं। गुजरात में भी ऐसा ही हुआ। मोदी के संवादों में जो ऊर्जा दिखाई देती है वह कांग्रेस के किसी नेता में दिखाई नहीं देती। वहीं कांग्रेस की युवा ऊर्जा के स्रोत कहे जाने वाले राहुल गांधी को इस बार गुजरात चुनाव में ज्यादा बार जनसभाएं करने का मौका नहीं दिया गया। मुमकिन है इसकी वजह उनका उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन रहा है। इस चुनाव में यह साबित जरूर हो गया है कि मोदी के दिल्ली की तरफ बढ़ते कदमों को रोक पाने के लिए कांग्रेस के पास दमदार नेता की कमी जरूर है।

 

error: Content is protected !!