अकबरपुर में अघोषित बिजली कटौती से बिलबिला रहे हैं लोग

रीता विश्वकर्मा
कोराना काल, कोरोना कर्फ्यू, लॉकडाउन, अनलॉक, वैक्सीनेशन, रेन्डम टेस्ट, कोविड गाइडलाइन अनुपालन के तहत मास्क चेकिंग अभियान के रूप में जारी। इस अवधि में जब आम आदमी के सामने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की जद्दोजहद जारी है, तब ऐसे में हर कोई हलकान और परेशान ही दिखने लगा है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में जीवन बचाने के लिए आवश्यक हवा, पानी और भोजन हेतु संघर्षरत आम आदमी त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है। हवा भी पैसा देकर मिल रही है, पानी और भोजन का खैरात देने वाले भी विलुप्त हो गये हैं। स्वयं के प्रयास से आम आदमी जुगाड़ करके जीवन बचाने के लिए हर जतन कर रहा है।
गाँव हो या शहर हवा एक ही जैसी है। शहरों में स्थिति बद से बद्तर ही कही जायेगी। यहाँ तो बगैर पैसे के हवा, पानी और भोजन कुछ भी नसीब नहीं होने वाला। ऊपर से यदि इस कोरोना काल में दो-चार बड़ी दैवीय आपदाएँ आ जायें तब जीवन बचाना और भी मुश्किल हो जाता है। ठीक कुछ इसी तरह हुआ और भविष्य वक्ताओं के अनुसार होने वाला है। मसलन- एक गत माह ‘ताउते’ नामक विनाशकारी चक्रवात पश्चिम से और इसके बाद ‘यास’ नामक चक्रवात पूरब से चलकर देश के अधिकांश हिस्सों में अपना असर दिखाकर गया।
इन दोनों चक्रवातों ने अपने विनाशकारी स्वरूप से जनजीवन को तबाह कर दिया। अकूत जन-धन हानि हुई। इसी बीच कुछ अन्य बीमारियाँ जैसे- ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, चमकी बुखार आदि के फैलने से लोगों में दहशत रही। बहरहाल दोनों चक्रवात इन नई बीमारियों के बीच देश के अधिकांश हिस्से में मई के अन्त से उमस भरी प्राणलेवा गर्मी का कहर कुछ इस कदर रहा कि लोग कोरोना जैसे जानलेवा विषाणु को भूलकर इस गर्मी से निजात पाने के जुगाड़ में जुट गये। गाँव हो या शहर हर जगह गर्मी से बचाव के लिए लोग प्रयासरत देखे जा सकते हैं। एक कहावत है कोढ़ में खाज……….जी हाँ यह आज के समय में हमारे यहाँ शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही है।
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले के मुख्यालयी शहर अकबरपुर की। विस्तार से जानने के पहले आपको बता दें कि अकबरपुर शहर में 25 वार्ड हैं। 2 लाख से अधिक की आबादी वाला यह शहर अकबरपुर, शहजादपुर में विभक्त है। इन दोनों उपनगरों के बीच से पौराणिक नदी ‘तमसा’ गुजरती है। यह वही नदी है जिसके तट (दन्त धावन- दतुअन कुण्ड) पर हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्री राम और उनके साथ उनकी धर्मपत्नी माता सीता व अनुज लक्ष्मण ने प्रातःकालीन नित्यक्रिया किया था।
अकबरपुर में एक अत्यन्त प्राचीनतम विद्युत उपकेन्द्र है। जिसमें लगे उपकरणों से विद्युत ऊर्जा बजरिये केबिल व तार पूरे नगर क्षेत्र में लोगों को दी जाती है। अकबरपुर विद्युत मण्डल पर अधीक्षण अभियन्ता के पद पर कौन विराजमान है, यह बात दीगर है। लेकिन जब भी कभी इस अधिकारी के सी.यू.जी. नम्बर पर फोन कॉल किया जाता है तो वह अपनी आदतानुसार कभी भी उसका सटीक उत्तर नहीं देता है। समझ में नहीं आता कि अधीक्षण अभियन्ता के पद और अकबरपुर विद्युत मण्डल के सृजन की क्या उपयोगिता है।
विद्युत वितरण खण्ड अकबरपुर में बिजली उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए अवर अभियन्ता, उप खण्ड अधिकारी, अधिशाषी अभियन्ता व अन्य विद्युत कर्मियों की लम्बी-चौड़ी फौज है। इन सबके बावजूद अकबरपुर नगर के लोग इस समय बिजली की अघोषित कटौती से उमस भरी गर्मी में बिलबिलाने को मजबूर हो रहे हैं। या कहा जाये कि बिजली रूला रही है, कब आयेगी, कब जायेगी इसका कोई पता नही। साहेब बहादुरान से दूरभाषीय सम्पर्क कर पाना टेढ़ी खीर। यह लोग तो सिर्फ कोरोना काल में महंगाई की बोझ से दबे मरणासन्न आम आदमी के लघु विद्युत बिलों पर ही अपनी नजरें गड़ाये हुए हैं। ज्यादा चू-चपड़ करने वालों का बिजल कनेक्शन नॉन पेमेन्ट में काट देंगे, फिर उसके बाद बिलबिलाते-बिलबिलाते उनकीव जीवन लीला समाप्त। तो क्या समझे? आ गई अकल ठिकाने।
…..तो अकबरपुर में आपका खैर-मखदम
ताउते, यास, ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, चमकी बुखार कोई बिजली महकमे ने पैदा नहीं किया, तब फिर काहें को बिजली अनापूर्ति के समय चिल्लपों करने वाले आम जन सारा दोष महकमे के देते हैं। इस समय बता दें कि अकबरपुर शहर के लगभग सभी हिस्सों में अघोषित बिजली कटौती का स्थाई खेल चल रहा है। यह खेल न तो टी20 है, न ही वन डेयर और न ही पाँच दिवसीय क्रिकेट मैच। जनाब यह तो है रोज का खेल। आइए आनन्द लीजिए, दावे के साथ कहा जा सकता है कि कभी भी ध्वस्त होने वाली बिजली आपूर्ति आपको निराश नहीं करेगी। घर से हैण्ड फैन, बड़ी सुराही साथ लायें, सुराही न मिले तो बड़ा मटका रखें…….मोमबत्ती, माचिस की व्यवस्था, आतिथ्य सत्कार करने वाला स्वयं करेगा। बिजली रानी की अनुपस्थिति में हैण्डफैन चलाकर उमस भरी गर्मी से निजात पाने के साथ-साथ मटका/सुराही में रखा पानी पीकर गला तर करें। मच्छरों की काट से बचने के लिए टायर-टयूब जलाने की व्यवस्था की जायेगी। मतलब यह कि अकबरपुर में इस समय बिजली नहीं, पानी नहीं, मक्खी-मच्छरों की भरमार, उमस भरी गर्मी में मचा है सर्वत्र हाहाकार।
जिला अम्बेडकरनगर, इसका मुख्यालय अकबरपुर……जहाँ के बिजली घर और बिजली महकमे के छोटे से लेकर बड़े हाकिम तक सभी अपने रूतबा-रूआब में। उमसभरी गर्मी में अघोषित बिजली कटौती। जन-जीवन बेहाल। पूर्व में बिजली महकमे के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा किये गये बेहतर विद्युत आपूर्ति के सभी दावे खोखले साबित। संविदा विद्युत कर्मियों के अनुसार अकबरपुर पावर हाउस से जुड़ सभी क्षेत्रों के फीडरों की हालत जर्जर। ओवरलोड होने पर पुराने व जर्जर संसाधन निष्प्रयोज्य से साबित होते हैं।
तार का टूटना, ट्रान्सफार्मरों का दगना जारी रहता है। अकबरपुर का एल.आई.सी., पटेलनगर, शास्त्रीनगर, महानगर, इल्तिफातगंज रोड, गांधीनगर, मुरादाबाद, मीरानपुर में लगे तार और ट्रान्सफार्मरों के बदले जाने की जरूरत। लगातार विद्युत आपूर्ति से इनमें प्रायः आग की लपटे उठने लगती हैं। सूचना मिलने पर विद्युत उपकेन्द्र से विद्युत आपूर्ति ठप्प कराकर मरम्मत का कार्य कराये जाने की बात कही जाती है। परन्तु यह क्या घण्टों बीत गये, विद्युत विहीन इन क्षेत्रों में सप्लाई नहीं। खास बात तो यह गड़बड़ी दूर करने वाली विद्युत मरम्मत टीम द्वारा काम समाप्ति के बाद अधिकांश क्षेत्रों में लो-वोल्टेज की समस्या का खड़ा होना और भी दुःखदाई होता है। अधिकांश इलाकों में लो-वोल्टेज की शिकायत हो जाती है, जिसकी जानकारी होने पर भी विभाग के अभियन्ता एवं कर्मचारी ध्यान नहीं देते हैं। उपभोक्ता ऐसी स्थिति में सर पटक-पटक कर रोता है। जीरो वोल्टेज का होना आम बात है। इसे विभाग द्वारा मेजर फाल्ट नहीं माना जाता है। दिखवाते हैं या दिखवायेंगे में घण्टों से लेकर एक-दो दिन तक लग जाते हैं। इसकी सूचना या शिकायत किसी भी जिम्मेदार द्वारा गम्भीरता से नहीं की जाती है। यह क्रम अकबरपुर में एक पखवारे से चल रहा है। कोरोना काल में कोरोना का भय, ऊपर से बिजली की अघोषित कटौती से जलापूर्ति का ठप्प होना, हर तरह से दिक्कत ही दिक्कत।
एक संविदा कर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बिजली विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इन दिक्कतों को दूर कराने की जिम्मेदारी स्वयं नहीं लेते हैं। क्योंकि वे स्थाई हैं, विभाग के हैं, इसलिए बिजली सम्बन्धी शिकायतें सुनने और उनके निराकरण करने का दिखावा ही करते रहते हैं। उसने कहा कि भीषण गर्मी में बिजली की खपत बढ़ गई है, इसलिए समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। बिजली कर्मी के अनुसार एकाएक आई खराबियों की समय से मरम्मत इसलिए भी नही हो पाती क्योंकि बिजली महकमे में कर्मचारियों की काफी कमी है।
कुल मिलाकर अकबरपुर में बिजली कटौती लोगों को इस समय खूब रूला रही है। उमस भरी गर्मी में जनजीवन बेहाल है। नो-पावर, नो-वाटर के चलते पाकशालाओं में जुटी गृहणियाँ काफी खिन्न नजर आ रही हैं। दिनचर्या तो प्रभावित है ही बिजली कटौती में कूलर, पंखा, एसी जैसे आरामदेय विद्युत उपकरण न चलने से लोगों का हाल बेहाल हो गया है।
रीता विश्वकर्मा
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