नई दिल्ली, जुलाई, 2021: केयर्न ऑयल एंड गैस 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर पर्यावरण के संबंध में की गई अपनी पहल को मजबूती दे रहा है। केयर्न ऑयल पारिस्थितिकी संरक्षण के साथ आर्थिक गतिविधियों के संतुलन की जरूरत पर जागरूकता उत्पन्न कर रहा है। कंपनी ने पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) संबंधी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया है। कंपनी ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में स्थिरता का अनुसरण किया है। इसके अलावा बेहतर टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री की प्रमुख कोशिशों ने केयर्न को पारिस्थितिक संतुलन और पर्यावरण के पोषण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने में सक्षम बनाया है।
केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर साह ने संरक्षण के बेहतरीन तरीकों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “देश के कुछ जटिल इकोसिस्टम में हमारे यहां कारोबारी गतिविधियों का संचालन किया जाता है। एक कंपनी के रूप में, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता टेक्नोलॉजी, प्रोसेस, पारंपरिक और स्वदेशी ज्ञान में व्यापक निवेश से अपने आसपास के माहौल सुधार करना और उसका पोषण करना है। संरक्षण और इनोवेशन का संयोजन करने वाली समग्र जैव विविधता प्रबंधन योजना के साथ, मजबूत समुदाय और स्थानीय भागीदारी का निर्माण करते हुए हम लंबे समय से चली आ रही पुरानी समस्याओं के कुछ महत्वपूर्ण समाधान प्रदान कर रहे हैं। ”
केयर्न के संचालन के क्षेत्रों में तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल और जीव विविधता देखी जाती है। राजस्थान का क्षेत्र पक्षियों की 120 से अधिक प्रजातियों के साथ-साथ स्तनधारियों, सरीसृपों और तितलियों की एक दर्जन प्रजातियों का घर है। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में रावा के तटीय किनारों के पास एस’यानम बीच में ओलिव रिडले कछुओं का वार्षिक सामूहिक घोंसले या ‘अरिबाडा’देखा जा सकता है, जिसे आईयूसीएन की रेड लिस्ट में अति संवेदनशील घोषित किया गया है। आस-पास देसी पशु-पक्षियों की जरूरत को पूरा करते हुए स्थानीय पारिस्थितिक विविधता के संरक्षण के लिए यहां प्रमुख रूप से दखल देने की जरूरत है।
केयर्न राजस्थान ब्लॉक (आरजेओएन ब्लॉक) भारत के सबसे अनोखे इको-सिस्टम में से एक-थार रेगिस्तान में स्थित है। इस ब्लॉक में तरह-तरह की झाड़ियां और कई तरह के पेड़-पौधों की प्रजातियां हैं। इसमें देसी और विदेशी दोनों प्रकार की प्रजातियां शामिल हैं। आर्थिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण पेड़ प्रजातियां जैसे खेजड़ी (प्रोसोपिस सिनेरिया), केर (कप्पारिस डेसीडुआ) और रोहिदा (टेकोमेला अंडुलता) ब्लॉक क्षेत्र में जगह-जगह आसानी से देखे जा सकते हैं। कंपनी ने स्थानीय वन विभाग के साथ चर्चा और परामर्श कर ग्रीनबेल्ट विकसित करने के लिए सोर्स रिसेप्टर अप्रोच अपनाई है और सामुदायिक भूमि पर 121 हेक्टेयर का ग्रीनबेल्ट कवर और बाड़मेर और जालौर जिले में 105 हेक्टेयर में टर्मिनल और वेल पैड) विकसित किए है। ये ग्रीनबेल्ट जंगली जानवरों को आश्रय प्रदान करते हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी को संतुलित करने में मदद करते हैं।
बाड़मेर, मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल में एमपीटी डेजर्ट पार्क नाम का एक पुष्प जैव विविधता पार्क है, जहां 50 से अधिक प्रजातियां हैं। डेजर्ट पार्क तरह-तरह के फलों (अनार, चीकू, खजूर, जंगल जलेबी, शहतूत आदि) और आश्रय पौधों की प्रजातियों के साथ एक अनोखा और अपने आप स्थिर रहने वाला इकोलॉजी सिस्टम बनाते हैं, जो पक्षियों और तितलियों की बेहतर विविधता को समर्थन करता है। डेजर्ट पार्क में सिंचाई के लिए ड्रिप नेटवर्क के माध्यम से एसटीपी ट्रीटेड वॉटर का उपयोग किया जा रहा है। केयर्न ने देसी पौधों की प्रजातियों की मदद से इस क्षेत्र के आसपास रेत के टीलों को स्थिर करने की पहल की है। कंपनी ने एमपीटी और आरजीटी में एक नर्सरी विकसित की है, ताकि स्थानीय मौसम की स्थिति के अनुकूल देसी प्रजातियों के पौधे तैयार किए जा सकें और उन्हें रोपने से पहले उनके अनुकूल मौसम का ध्यान रखा जाए, ताकि वह बेहतर ढंग से फले-फूलें।
क्षेत्र में सामूहिक रूप से मौजूद पक्षियों और जीव जंतुओं को पानी, भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए मिट्टी के घड़े, बर्ड हट और बर्ड फीडर स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, कंपनी ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के तटों के साथ 279 एकड़ के क्षेत्र में मैंग्रोव लगाए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पिछली शताब्दी में भारत ने अपने मैंग्रोव कवर का 40 फीसदी हिस्सा खो दिया है। यह देसी पक्षियों की प्रजातियों के लिए एक बेहतरीन आश्रय स्थल है और आईयूसीएन की ओर से विलुप्तप्राय घोषित की गई प्रजाति फिशिंग कैट के संरक्षण की सुविधा प्रदान करता है। कंपनी स्थानीय भागीदारी बढ़ाने और पारंपरिक संरक्षण की प्रथाओं को अपनाने के लिए पश्चिमी राजस्थान में बिश्नोई जैसे स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करती है। इससे न केवल जंगली जानवरों के अवैध शिकार पर निगरानी बढ़ी है, बल्कि घायल जानवरों की जिंदगी बचाने की कोशिशों में भी मदद मिली है। केयर्न ने घायल और मृत जंगली जानवरों को लाने-ले जाने के लिए आवश्यक उपकरणों के साथ एक वाहन भी वन विभाग को सौंपा है।
भारत के कुछ सबसे जटिल इकोसिस्टम में काम कर रहे एक प्रमुख कॉरपोरेट कंपनी के रूप में, केयर्न ऑयल एंड गैस अपनी सभी तरीकों में सस्टेनेबिलिटी को शामिल करने के लिए काफी दिलचस्पी रखता है। कंपनी किसी भी विपरीत प्रभाव को कम करने और जैव विविधता के शुद्ध सकारात्मक लाभ (एनपीजी) को प्राप्त करने के लिए सकारात्मक योगदान को प्रोत्साहित करता है। जैव विविधता के संरक्षण की अहमियत को समझते हुए, केयर्न पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय करने में अग्रणी रहा है। यह पर्यावरण, स्थानीय विविधता और यहां रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद हैं।