नई दिल्ली, 7 मार्च, 2022- महिला उद्यमियों के लिए वन स्टॉप नॉलेज हब शीएटवर्क ने टेक्नोलॉजी एनालिटिक्स, रिसर्च और कंसल्टेंसी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी टेकआर्क की साझीदारी में भारत में महिला टेक उद्यमशीलता की स्थिति पर आज एक रिपोर्ट पेश की।
इस रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर हुआ है कि आईआईटी जैसे अग्रणी इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं की संख्या करीब चार साल पहले के महज 5 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर अब 16 प्रतिशत पहुंच गई है, लेकिन यह संख्या महिलाओं द्वारा कंपनी शुरू करने में तब्दील नहीं हुई है। वास्तव में, मौजूदा रूख को देखते हुए भारत में 2025 तक 200 से अधिक यूनिकॉर्न (कम से कम एक अरब डॉलर मूल्य के स्टार्टअप्स) होने चाहिए थे जिनमें से कई शेयर बाजार से पूंजी जुटा रहे होते, लेकिन वृद्धि की इस दास्तां की अगुवाई मुख्य रूप से पुरूषों द्वारा की जाएगी।
दिलचस्प है कि यह रिपोर्ट पूरे भारत में 2,000 महिलाओं के सर्वेक्षण पर आधारित है जिनमें महिला पेशेवर, छात्राएं, स्टार्टअप संस्थापक और कारोबार चला रही महिलाएं शामिल हैं। इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि गैर महानगरों में करीब 48 प्रतिशत महिलाएं करियर के विकल्प के तौर पर टेक उद्यमशीलता अपनाने की इच्छुक हैं, जबकि महानगरों में ऐसी महिलाएं 23 प्रतिशत हैं। महानगरों में महिलाएं अक्सर कंपनियों में नौकरी को करियर का सुविधाजनक विकल्प मानती हैं। इस रिपोर्ट का लक्ष्य भारत में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महिला उद्यमी के लिए चुनौतियों और अवसरों को सामने लाना है क्योंकि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारितंत्र वाला देश बन गया है।
इस रिपोर्ट की खास बातें
उद्यमशीलता के रास्ते महिलाओं के लिए पांच प्रमुख बाधाएं हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
पूंजी तक पहुंच- 58 प्रतिशत महिलाओं ने पुरूषों की तुलना में धन जुटाने और पूंजी तक पहुंच में मुश्किलें आने की बात कही। महानगरों में 38 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि महानगरों में पूंजी मिलना, उद्यम शुरू करने के रास्ते सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
ढांचागत सुविधाओं की कमी- गैर महानगरों में 73 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि अपर्याप्त ढांचागत सुविधाएं उन्हें उद्यम शुरू करने से रोकती हैं। वहीं महानगरों में 22 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि भौतिक आधारभूत ढांचा उनके लिए एक समस्या है।
मार्गदर्शन की कमी- गैर महानगरों में 67 प्रतिशत महिलाएं उद्यमशीलता का मार्ग चुनने के लिए मार्गदर्शन की कमी को एक अन्य महत्वपूर्ण कारक मानती हैं। महानगरों में भी 34 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है और मार्गदर्शन के बिना उन्हें उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आती।
प्रतिभा की कमी- यद्यपि गैर महानगरों में महिलाएं अपना खुद का उद्यम शुरू करना चाहती हैं, छोटे शहरों में कुशल लोगों का मिलना कठिन है जिससे उनकी प्रगति बाधित होती है। गैर महानगरों में 48 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि कुशल और प्रतिभाशाली टीम की कमी अक्सर उन्हें उद्यम शुरू करने से रोकती है, जबकि महानगरों में 18 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि सही प्रतिभा तलाशना कोई बाधा नहीं है।
टेक्नोलॉजी तक पहुंच- शिक्षित लोगों की आबादी बढ़ने के बावजूद प्रासंगिक कारोबार एवं तकनीकी संसाधनों तक सीमित पहुंच उद्यम को बढ़ने में एक बड़ी बाधा है। गैर महानगरों की 74 प्रतिशत महिलाएं टेक्नोलॉजी की कमी को प्रमुख चुनौती मानती हैं। वहीं महानगरों में भी 24 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि महिला उद्यमियों के लिए टेक्नोलॉजी अपरिहार्य है जो उनके उद्यम को बना और बिगाड़ सकती है।
इस रिपोर्ट को पेश करते हुए शीएटवर्क की संस्थापक रूबी सिन्हा ने कहा, महिलाओं को महज टेक उपभोक्ता नहीं होना चाहिए, बल्कि टेक्नोलॉजी से चलने वाले उत्पादों एवं प्लेटफॉर्मों का निर्माता भी होना चाहिए। वेंचर निवेशकों, मार्गदर्शकों और समाज सहित सभी भागीदारों के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्टार्टअप पारितंत्र ना केवल विचारों से बल्कि अधिक संख्या में महिलाओं के उद्यमी बनने के लिहाज से विविधता भरा हो जिससे स्टार्टअप पारितंत्र का चौतरफा वृद्धि सुनिश्चित हो सके।
टेकआर्क के मुख्य विश्लेषक एवं संस्थापक फैसल कावुसा ने कहा, यह पहली बार है कि नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में रिकॉर्ड में पुरूषों के मुकाबले कहीं अधिक महिलाएं हैं। इसके साथ कार्यस्थल और उद्योगों में विविधता की जरूरत अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। आने वाले समय में हम देखेंगे कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महिलाएं अग्रणी भूमिका में होंगी जहां वे शक्ति एवं रचनात्मकता की मिसाल के तौर पर खड़ी होंगी।
इस रिपोर्ट में यह बात भी रेखांकित की गई है कि कैसे उद्यमशीलता में लिंग समानता लाकर संपूर्ण पारितंत्र को दुरूस्त करने की जरूरत है। यह रिपोर्ट टेक क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति, उनकी चुनौतियां और अंततः कैसे महिलाओं को प्रोत्साहित करने और सार्थक लिंग विविधता, समानता एवं समावेश को समझने का एक गाइड है।