जज्बे को सलाम, फीस चुकाने के लिए पढ़ाती थी ट्यूशन

दरिंदगी के 13वें दिन दम तोड़ने वाली युवती की आंखों में भी अपने और परिवार के सुखद भविष्य के सपने थे। सबसे बड़ी संतान से पूरा परिवार बड़ी उम्मीदें संजोये था, लेकिन 16 दिसंबर की काली रात ने एक झटके में परिवार से सब कुछ छीन लिया।

पारिवारिक मित्रों के मुताबिक, वह शुरुआत से ही मेहनती थी और स्वाभिमानी थी। स्कूल और कॉलेज की फीस भरने के लिए वह ट्यूशन भी पढ़ाती थी। पीड़िता का परिवार करीब 25 साल पहले बलिया से दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में आकर बस गया था। यहीं 23 साल पहले उसका जन्म हुआ।

बेटी की प्रतिभा को देखते हुए पिता ने कर्ज लेकर उसे शिक्षा दिलाई। पढ़ाई के बाद वह फिजियोथेरेपिस्ट की ट्रेनिंग के लिए देहरादून चली गई। वहां से लौटकर उत्तरी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में इंटर्न के तौर पर काम करने लगी। घरवालों को उम्मीद थी कि उसकी कामयाबी दो छोटे भाइयों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। उसकी नौकरी और तनख्वाह से घर की हालत भी सुधर जाएगी। उसके साथ पेश आए दर्दनाक हादसे से पीड़िता की मां बुरी तरह टूट गई थी लेकिन पिता को पूरा यकीन था कि उनकी बेटी स्वस्थ हो जाएगी और अपने पैरों पर खड़ी होगी। यहां तक कि इलाज के दौरान भी उन्होंने कई लोगों से उसकी नौकरी के लिए बात की। मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था।

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