सुप्रीम कोर्ट का फैसला, गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति सही

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के लोकायुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर ए मेहता की नियुक्ति के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर मोदी सरकार को एक बड़ा झटका दे दिया है। याचिका में कहा गया था कि राज्यपाल कमला बेनीवाल ने गुजरात सरकार से सलाह लिए बिना ही लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त की नियुक्ति को सही ठहराया है। शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति बीएस चौहान और एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला की पीठ ने इस पर फैसला सुनाया है।

गौरतलब है कि जनवरी 2012 में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति वीएम सहाय ने एक खंडपीठ द्वारा राज्यपाल के निर्णय की वैधता पर बंटा हुआ फैसला आने के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति को बरकरार रखा था। न्यायमूर्ति सहाय ने संवैधानिक संकट पैदा करने को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की खिंचाई भी की थी। साथ ही कहा कि राज्यपाल को नियुक्ति का विवेकाधीन अधिकार होता है। मुख्यमंत्री द्वारा लोकायुक्त मुद्दे को लेकर की जा रही उछलकूद लोकतंत्र के विखंडन को दर्शाती है। हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने दलील दी थी कि अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकार की सलाह लिए बिना लोकायुक्त की एकतरफा नियुक्ति अवैध है। साथ ही हाई कोर्ट द्वारा मोदी के खिलाफ इस्तेमाल किए गए कड़े शब्दों पर एतराज जताते हुए टिप्पणियों को हटाने की मांग की गई है। राज्यपाल ने आठ वर्ष से खाली पड़े लोकायुक्त के पद पर 25 अगस्त 2011 को सेवानिवृत्त न्यायाधीश मेहता की नियुक्ति कर दी थी।

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