गैंगरेप पीड़ित के परिवार ने कहा, हमें अकेला छोड़ दो!

मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर द्वारा दिल्ली गैंगरेप पीड़ित के नाम पर कानून बनाने की सलाह, भाजपा द्वारा उसके लिए अशोक चक्र पुरस्कार की मांग और तेलगू फिल्मकार की पीड़ित पर फिल्म बनाने की इच्छा के बीच परिवार के लोग चाहते हैं कि उन्हें अकेला छोड़ दिया जाए।

मीडिया द्वारा तरह-तरह की अवांछित चर्चाओं से ऊबे पीड़ित के परिवार वाले इस भीषण त्रासदी से उबरने के लिए अकेलापन चाहते हैं। इस बाबत पीड़ित के भाई ने कहा कि उसके नाम पर कानून का नाम, स्कूल का नाम और अवार्ड देने से पहले मेरी एक ही प्रार्थना है कि हमें न्याय चाहिए। जिसने मेरी बहन को प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी उसे पहले फांसी पर लटकाया जाए। यही मेरी बहन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

शशि थरूर द्वारा लड़की का नाम सार्वजनिक करने तथा उसके नाम पर नया कानून बनाने की सलाह को हालांकि कांग्रेस ने खारिज कर दिया है, लेकिन लड़की के भाई का कहना है कि मेरे पिता ऐसा महसूस करते हैं कि यदि मेरी बहन के नाम कोई नया कानून बनता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। यह उसे एक श्रद्धांजलि होगी। पीड़िता के भाई ने कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर क्यों तरह-तरह के विवाद पैदा किए जा रहे हैं। हमारा लगातार पीछा किया जा रहा है, हम ऐसा नहीं चाहते हैं।

भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पीड़ित के लिए बहादुरी पुरस्कार की मांग पर भाई ने कहा कि मैं बहन के नाम पर कानून, स्कूल का नाम, फिल्म, बहादुरी पुरस्कार जैसी बातें सुन रहा हूं। मीडिया के लोग गांव में घर पर पहुंच रहे हैं और जो भी मिल रहा है उससे इन विषयों पर टिप्पणी मांग रहे हैं। हम लोग केवल इतना चाहते हैं कि हमें अकेला छोड़ दिया जाए।

तेलगू फिल्मकार रमाना गद्दम द्वारा दिल्ली गैंगरेप पर आधारित अपनी नई फिल्म ‘निशा’ के निर्माण की घोषणा पर पीड़ित के भाई ने कहा कि लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि मेरी बहन आखिरी समय तक जब तक सचेत थी, यहां तक कि अस्पताल आ रहे संबंधियों को भी वह यह नहीं जानने देना चाहती थी कि उसके साथ क्या हुआ। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि उस पर फिल्म बनाने का क्या मतलब है। लोगों का गुस्सा जायज है, लेकिन मेरी बहन की कहानी का तमाशा नहीं बनना चाहिए। पीड़ित के भाई ने मीडिया और अपने शुभचिंतकों से अपील करते हुए कहा कि उनका या उनके परिवार का पीछा न किया जाए। उन्होंने कहा कि एक समय तो घर पर मीडियाकर्मियों और लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। मीडिया के लोग तो गहरे सदमे में पड़ी मेरी दादी से भी सवाल पूछने से नहीं चूक रहे थे कि बहन कैसी थी, क्यों दिल्ली गई आदि। हमारी जिंदगी की सारी बातें पब्लिक हो चुकी है, अब बचा ही क्या है। उन्होंने कहा कि मेरी मां अभी भी सदमे में हैं। न ठीक से खाना खा रही है और न ही सो पा रही है। और लोग यह जानने चाह रहे हैं कि वह कैसा महसूस कर रही है। वह कैसा महसूस कर रही है, उसका वह क्या जवाब दे सकती है।

पीड़ित के भाई ने कहा कि पूरा परिवार सदमे में हैं। हमें और परिवार को कुछ समय के लिए अकेलेपन की जरूरत है। दिल्ली लौटने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी हमारा 15 जनवरी से पहले लौटने का इरादा नहीं है। यदि केस के संबंध में आवश्यकता हुई और बुलाया गया तब मैं दिल्ली जा सकता हूं।

सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जारी फोटो के बारे में भाई ने कहा कि सारी तस्वीरें फर्जी हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजें रुकनी चाहिए। जिन बातों से मेरा और मेरे परिवार का मन आहत होता है, ऐसा कोई भी काम नहीं होना चाहिए।

error: Content is protected !!