मौर्या और कुशवाहा भी एसआइबी के फंदे में

उत्तर प्रदेश श्रम निर्माण एवं सहकारी संघ लिमिटेड (लैकफेड) घोटाले में पूर्व पंचायती राज मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य व बाबू सिंह कुशवाहा पर जांच एजेंसी कोआपरेटिव सेल की एसआइबी का फंदा कस रहा है। पिछड़ा क्षेत्रीय अनुदान निधि (बीआरजीएफ) से लैकफेड को दी गई 143 करोड़ रुपये की धनराशि की हेराफेरी में एसआइबी दोनों पूर्व मंत्रियों को घेरने मे जुटी है। इस बाबत जिला पंचायत अध्यक्ष समेत 49 अफसरों को एसआइबी ने नोटिस भेजा है।

गौरतलब है कि एसआइबी ने 14 जनवरी को प्रतापगढ़ के जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमोद मौर्य को पूछताछ के लिए तलब किया है। प्रतापगढ़ पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का गृह जिला है और प्रमोद उनके भतीजे हैं। एसआइबी को जिले में बीआरजीएफ की धनराशि की हेराफेरी मिली है। यहां पीसीएस अधिकारियों समेत सात अफसर तलब किए गए हैं, जिनमें कई हेराफेरी का सच उगलने को तैयार हैं। एसआइबी 164 के तहत उनका कलमबंद बयान दर्ज कराकर मौर्य के खिलाफ साक्ष्य तैयार करेगी।

एसआइबी ने फिलहाल पांच जिलों में बीआरजीएफ मद में हेराफेरी पर जांच केंद्रित की है और इसमें एक प्रमुख जिला कुशीनगर है। कुशीनगर स्वामी प्रसाद मौर्य का चुनाव क्षेत्र है। यहां के जिला पंचायत अध्यक्ष और तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी समेत 14 अधिकारियों को एसआइबी ने 17 जनवरी को पूछताछ के लिए तलब किया है। सूत्रों का कहना एसआइबी ने यहां के जिन छह ग्राम पंचायत अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया है, वह भी कभी मौर्य के करीबी रहे हैं। अब इनमें कई उनके खिलाफ बयान देने को तैयार हैं। सोनभद्र, कौशांबी व बाराबंकी में भी मौर्य के खिलाफ साक्ष्य तलाशने में एसआइबी जुटी है।

जहां तक पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का सवाल है तो उनके खिलाफ एसआइबी के पास पहले से ही लिखित साक्ष्य है। बीआरजीएफ की धनराशि पंचायती राज संस्थाओं को ही आवंटित करने की गाइडलाइन है, लेकिन पिछली सरकार में योजनाबद्ध तरीके से गाइडलाइन बदली गई और लोक निर्माण विभाग, जल निगम (सीएंडडीएस), ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, समाज कल्याण निर्माण निगम, राजकीय निर्माण निगम, लैकफेड और पैकफेड जैसी निर्माण एजेंसियों को भी कार्यदायी संस्था बना दिया गया। इसमें तत्कालीन मुख्य सचिव अतुल गुप्ता, प्रमुख सचिव पंचायती राज आरके शर्मा, विशेष सचिव एमएम श्रीवास्तव समेत दर्जन भर अफसरों ने भूमिका निभाई। 12 फरवरी 2009 को पंचायती राज मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने इस पर मुहर लगाई थी। परियोजना निदेशक रामरेखा पाण्डेय और एसी पाण्डेय के कार्यकाल में कई उपनिदेशकों ने लैकफेड को धनराशि आवंटित करने का कार्य किया। एसआइबी इनसे पूछताछ करेगी और उपरोक्त निर्माण एजेंसियों को कार्यदायी संस्था बनाए जाने के बाद आवंटित धनराशि में की गई कमीशनखोरी का सच जानेगी।

इस मामले में पूर्व विधायक आरपी जायसवाल भी घेरे में आ रहे हैं। कुछ अफसरों ने एसआइबी को बताया कि कार्यदायी संस्थाओं को धनराशि आवंटित करने के लिए कमीशन आरपी जायसवाल के पास पहुंचाये जाते थे। दिलचस्प यह कि जायसवाल कमीशन बाबू सिंह कुशवाहा के आवास पर ही वसूल करते थे। एसआइबी ने बाबू सिंह कुशवाहा को रिमांड पर लेने की भी तैयारी की है। एसआइबी का तर्क है कि आखिर जब बीआरजीएफ की धनराशि से पंचायती राज संस्थाओं को ही कार्य कराने की गाइडलाइन थी तो इसके लिए दूसरी निर्माण एजेंसियों को कार्यदायी संस्था क्यों बनाया गया।

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