रेप के लिए मौत की सजा पर नहीं बनी सहमति

दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की वीभत्स घटना के बाद दुष्कर्मियों के लिए उठी फांसी की सजा की मांग पर राज्य सरकारों और केंद्र के बीच सहमति नहीं बन सकी। राज्य सरकारें महिला अपराधों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने के लिए तैयार तो हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने केंद्र से सहायता की मांग की है। वहीं, जघन्य सामूहिक दुष्कर्म में शामिल किशोर के कठोर सजा से बच निकलने की आशंका के बीच नाबालिग की आयु सीमा घटाने को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है। यहां शुक्रवार को राज्यों के डीजीपी व मुख्य सचिवों के साथ गृह मंत्रालय की बैठक में राज्य पुलिस में 33 फीसद पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने की बात कही गई।

महिलाओं की सुरक्षा पर बुलाई गई बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि एक या दो मुख्य सचिवों ने मृत्युदंड का सुझाव पेश किया लेकिन ज्यादातर राज्य इस पर चुप्पी साध गए। इसलिए इस पर सहमति नहीं बन सकी। हालांकि गृह मंत्रालय के अधिकारी और राज्यों के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस तरह के मामलों में दुष्कर्मियों को जिंदगी भर की उम्र कैद की सजा देनी चाहिए। इस दौरान उन्हें पैरोल भी न दिया जाए। बैठक से इतर महिला व बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने भी दुष्कर्म के जघन्यतम मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान करने की मांग की है। इसके अलावा बैठक में किशोरावस्था की अधिकतम आयु को फिर से 16 साल करने की मांग की गई। दरअसल 2000 में किशोर न्याय कानून में किशोरावस्था की अधिकतम आयु 16 साल से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई थी। कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने भी इस मांग समर्थन किया है। राज्यों ने महिलाओं से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने पर सहमति जताई है, लेकिन साथ ही संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए इसके लिए केंद्रीय सहायता दिए जाने की मांग भी की। कुछ राज्यों ने अपराध की वैज्ञानिक तरीके से जांच के लिए अत्याधुनिक उपकरणों की कमी और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की खराब हालत का मुद्दा भी उठाया। जबकि केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को महिलाओं के खिलाफ अपराधों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की हिदायत दी गई है। केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने एफआइआर दर्ज नहीं करने वाले अधिकारी को तत्काल निलंबित करने का तो गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच में जवाबदेही लाने और अपराधियों को सजा दिलाने का सुझाव दिया। पुलिस को महिलाओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाने के लिए केंद्र ने राज्यों को 33 फीसद पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने को कहा। शिंदे ने कहा कि अभी महिला पुलिस चार फीसद से भी कम हैं, इसे 33 फीसद किए जाने की सख्त जरूरत है।

बैठक को सफल बताते हुए शिंदे ने कहा कि दुष्कर्मियों को फांसी की सजा सहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए राज्यों की ओर से अहम सुझाव आए हैं और उन पर विचार- विमर्श के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी और मुख्य सचिवों की राय के साथ-साथ जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी के सुझावों को शामिल करते हुए सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान करने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। हालांकि उन्होंने इसके लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग को फिर खारिज कर दिया है।

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