ठंड में भी नहीं ठंडा पड़ा आक्रोश

दिल्ली में गैंगरेप के खिलाफ गम का सैलाब बढ़ता ही जा रहा है। प्रचंड ठंड में भी गुस्से की गर्मी से राजधानी की तपिश बढ़ रही है। गहरे कोहरे में आधी आबादी स्वाभिमान और जीवन की आशा की लौ से राजधानी को रास्ता दिखा रही है।

पीड़िता की मौत के बाद लगातार प्रदर्शन जारी हैं। महिलाओं की सुरक्षा व नए कानून के लिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे युवा और बुजुर्ग सभी का दल मानवता के खिलाफ हुए इस जघन्य अपराध से आहत है। उनका आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। ठिठुरती ठंड में भी लोगों का जंतर-मंतर पर आना जारी है। गणतंत्र में जीने की आजादी पर सवाल खड़ा कर रहे कुछ लोगों ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया और करीब 30 से 40 लोगों ने अपने सिर मुंडवा कर शोक प्रकट किया। सामाजिक कार्यो से जुड़े इन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की महिलाओं के प्रति बर्बर रवैये पर गुस्सा प्रकट करते हुए कहा कि जिस देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें अपनी मर्जी के मुताबिक जीने के अधिकार के लिए प्रदर्शन करना पड़े, वो देश भला लोकतंत्र कैसे हो सकता है.? वी वांट जस्टिस. के नारों व सुरक्षा के लिए नए कानून की मांग करते हुए इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सदस्यों ने भी प्रदर्शन किया।

जंतर-मंतर पर महिलाओं की सुरक्षा व नए कानून की मांग करते 12 दिनों से अन्न का त्याग करने वाले बरेली के किसान राजेश गंगवार की हालत नाजुक बनी हुई है। लेकिन सरकार की ओर से इनकी सुध लेने वाला व इनकी मांगों को सुनने कोई भी नहीं आया। सरकार की इस बेरूखी पर गंगवार का कहना है कि हम शांतिपूर्ण तरीके से महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए कानून की मांग कर रहे हैं। अपनी मौत का गम नहीं। लेकिन इस बात की निराशा है कि किसी भी अधिकारी या नेता ने यहां आने की जहमत नहीं उठाई। डॉक्टर ने बताया कि जांच के बाद खून के सैंपल को आरएमएल भेजा गया लेकिन अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। सात दिनों से भूख हड़ताल कर रहे किसान बाबू सिंह की भी हालत ठीक नहीं है।

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