दिल्ली गैंगरेप: कड़ी सुरक्षा के बीच पांचों आरोपी कोर्ट में पेश

दिल्ली गैंगरेप मामले की सुनवाई सोमवार से साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट में नियमित तौर पर शुरू हो जाएगी। इस बीच कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस इस मामले में नाबालिग को छोड़कर सभी अन्य आरोपियों को लेकर साकेत कोर्ट पहुंच गई है, हालांकि अभी तक आरोपियों की पेशी नहीं हुई है। इस मामले में हो रही सुनवाई पर देशी-विदेशी मीडिया की नजरें टिकी हुई हैं।

इस बीच दिल्ली गैंगरेप मामले में गिरफ्तार आरोपी कड़ी सजा से बचने के लिए पैंतरेबाजी पर उतर आए हैं। रविवार को साकेत कोर्ट स्थित महानगर दंडाधिकारी के समक्ष पेशी के दौरान चार में से दो आरोपियों पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने खुद को सरकारी गवाह बनाने की इच्छा जाहिर की। हालांकि कानून के जानकार इसको महज आरोपियों की कड़ी सजा से बचने की पैंतरेबाजी करार दे रहे हैं। सरकारी गवाह बनने की बात कहने वाले दोनों आरोपी वे ही हैं, जिन्होंने गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेशी के दौरान खुद को फांसी दिए जाने की मांग की थी।

कानून के जानकार इसे सजा में नरमी के लिए चाल करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि दोनों आरोपियों को गवाह बनाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं। सामूहिक दुष्कर्म के चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने पर रविवार को साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी ज्योति कलेर के समक्ष पेश किया गया था। अदालत ने चारों को 19 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। हालांकि इनकी सोमवार को संबंधित अदालत में पेशी होगी। वहीं, पांचवां आरोपी नौ जनवरी तक न्यायिक हिरासत में है। छठे आरोपी की सुनवाई जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चल रही है।

पेशी के दौरान इन आरोपियों को सरकार की ओर से वकील मुहैया कराने की पेशकश की गई, लेकिन विनय शर्मा और पवन गुप्ता ने इन्कार कर दिया। उन्होंने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जाहिर की। इसके लिए अदालत ने उनसे संबंधित अदालत में अर्जी देने को कहा। वहीं आरोपी राम सिंह और मुकेश ने कानूनी मदद के लिए अदालत से वकील की मांग की। इन्हें वकील मुहैया कराया जाएगा।

बता दें कि महानगर दंडाधिकारी नम्रता अग्रवाल की अदालत में तीन जनवरी को इन आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट पेश की थी। कोर्ट ने बीते शनिवार को चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सात जनवरी तक के लिए पेशी वारंट जारी किया था, लेकिन आरोपियों की 14 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने पर रविवार को इन्हें अदालत में पेश किया गया। इस दौरान मीडिया रिपोर्टिंग पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने की बात अदालत ने नहीं कही।

वरिष्ठ अधिवक्ता डीबी गोस्वामी के अनुसार किसी आरोपी सरकारी गवाह बनाने का अधिकार सिर्फ जांच एजेंसी का होता है। अदालत सिर्फ यह देखती है कि जांच एजेंसी ने किसी को मजबूर करके तो सरकारी गवाह नहीं बनाया है। वहीं जांच एजेंसी तब सरकारी गवाह बनाती है जब उनका केस कमजोर होता है। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है। गौरतलब है कि वसंत विहार में पिछले 16 दिसंबर को चलती बस में फिजियोथेरेपिस्ट युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। बुरी तरह से जख्मी युवती को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।

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