टाटा मोटर्स ने ‘चिकनकारी’ की पारंपरिक हस्‍तकला से सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाने के लिये महिलाओं को सशक्‍त किया

नई दिल्ली, फरवरी, 2024- भारत के मध्‍य-ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं आर्थिक आजादी हासिल करने के लिये बड़ी समझदारी से बदलाव लाने की कोशिशों में जुटी हैं। टाटा मोटर्स समाज विकास केन्‍द्र (एसवीके) ने ‘चिकनकारी’ की कला में उस्‍ताद बनने के लिये इन महिलाओं की मदद की है। यह महिलाएं समूहों में काम करते हुए चिक‍नकारी के इस हुनर के दम पर सफल कारोबारी उपक्रम चला रही हैं। इस प्रोजेक्‍ट का दूसरी महिलाओं पर भी बड़ा असर हुआ है और एसएचजी (स्‍वयं सहायता समूह) बनाने के लिए 150 से अधिक महिलाओं से जुड़ाव बनाया गया है। वे ऋण एवं लाभ की गतिविधियों में बहुत सक्रिय हैं और उन्‍होंने पिछले 16 वर्षों में शानदार 25 लाख रूपये मोबिलाइज किये हैं।
टाटा मोटर्स एसवीके ने 2007 से इस प्रोजेक्‍ट पर काम शुरू किया था। इसके दो पहलू थे- इस हस्‍तकला को नया जीवन देना और उसे महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक विकास से जोड़ना। एसवीके ने 15 गांवों और उनके आस-पास की‍ महिलाओं के लिये एक समर्पित प्रशिक्षण केन्‍द्र की स्‍थापना की थी, ताकि वे जरूरी कौशल हासिल करें और उन्‍हें बाजार के ट्रेंड्स की समझ हो। 2011 में एसएचजी फेडरेशन प्रोग्राम का दायरा बढ़ाया गया और उसमें नए कौशल शामिल किये गये जैसे कि जूट के थैले, मोमबत्‍ती, हर्बल गुलाल, कपड़े के झोले, कृत्रिम गहने, आदि बनाना।
टाट मोटर्स ने उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रहीं महिला कल्‍याण की विभिन्‍न योजनाओं का फायदा उठाने में भी इन महिलाओं की सहायता की। इसके तहत उनके कौशल को बेहतर बनाया गया और उन्‍हें आय कमाने के मौके दिये गये। अब यह महिलाएं बदलाव की अगुवाई कर रही हैं। उन्‍हें न सिर्फ आर्थिक आजादी‍ मिली है, बल्कि उन्‍होंने सामाजिक बाधाओं को तोड़कर समा‍ज में बदलाव लाने का भी काम किया है। इस प्रकार लैंगिक समानता के लिये एक रास्‍ता खुला है।
टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड श्री विनोद कुलकर्णी ने कहा, ‘‘एसएचजी फेडरेशन एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें हम महिलाओं को समूह के तौर पर खुद के उद्यम विकसित करने के लिये मदद करते हैं। इससे उन्‍हें आर्थिक आजादी‍ मिलती है और उनका सामाजिक-आर्थिक स्‍तर ऊँचा होता है। ऐसा माना जाता है कि मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्‍स की सफलता के लिये लैंगिक समानता और महिलाओं का सशक्तिकरण महत्‍वपूर्ण है। इस प्रोग्राम की सफलता में बराबरी वाले एक समाज का मार्ग प्रशस्‍त करने के लिये हमारी लगन और प्रतिबद्धता दिखती है।‘’

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