शिवराज की चाल से उत्तर प्रदेश में भूचाल

मथुरा। कोसीकलां से सैकड़ों कोस दूर भोपाल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने राजपाट की ऐसी चाल चली कि उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया। शहीद हेमराज के गांव खैरार में गुस्से की आग फैली, तो तपिश लखनऊ-दिल्ली तक पहुंच गई। इसे स्थानीय स्तर पर रोकने के प्रयास हुए, बात नहीं बनी तो सोमवार को मुख्यमंत्री को खुद आना पड़ा।

बुधवार सुबह आठ बजे तक खैरार गांव अनजान सा था। अचानक हेमराज की शहादत की खबर आई। शाम को शव आ गया। गांव का गुस्सा तो उसी समय बढ़ गया था जब परिजनों-ग्रामीणों को शहीद का चेहरा नहीं दिखाया गया। अगले दिन संचार माध्यमों से खबर आई कि हेमराज के साथ ही मध्य प्रदेश के सीधी क्षेत्र के गांव ढरिया का सुधाकर सिंह भी शहीद हुआ। उसकी अंत्येष्टि में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी पहुंचे। यही बात परिजनों व ग्रामीणों को चुभ गई। सिर व सम्मान की मांग करते हुए परिजनों ने ग्रामीणों संग मोर्चा खोल दिया।

सबका कहना था कि लखनऊ से मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए? दिल्ली का दिल इतना छोटा हो गया कि शहादत पर भी शोक को न आए? यह आवाज बुलंद न हुई तो शनिवार को शहीद के परिजनों और ग्रामीणों ने अंत्येष्टि स्थल पर धरना शुरू कर दिया। आनन-फानन में दौड़े प्रशासनिक अफसरों को उल्टे पांव लौटा दिया। शहीद की पत्नी धर्मवती और मां मीना देवी ने तो सिर और सम्मान के लिए कुछ न खाने-पीने की सौगंध ले ली। रविवार को उनकी हालत बिगड़ गई। अफसरों ने लाख तसल्ली दी, लेकिन सब बेकार। क्षेत्रीय सांसद जयंत चौधरी पांचवें दिन शहीद के परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे। सोनिया गांधी का संदेश लेकर अलीगढ़ के पूर्व सांसद ब्रजेंद्र सिंह व विधायक प्रदीप माथुर भी पहुंचे। सब पर परिजनों और ग्रामीणों ने जमकर गुस्सा उतारा। मामला राजनीतिक रूप से गर्माया तो सोमवार को लखनऊ से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर उड़ा तो दिल्ली से रक्षा राज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने खैरार का रुख किया। राजनीतिक दल भी मौका भुनाने में पीछे नहीं रहे। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, नेता विपक्ष सुषमा स्वराज भी गांव आ गए।

सेना प्रमुख आएं तब समझें कि सम्मान रखा

शहीद के परिजन चाहते हैं कि सेना प्रमुख भी गांव आकर संवेदना जताएं। हेमराज के चाचा कल्यान सिंह कहते हैं कि उनके आने से शहादत को सही मायने में सम्मान मिलेगा।

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