स्थानीय मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के प्रबंधन गुरुओं और शोध छात्रों ने आम श्रद्धालुओं की ‘पोटली’ पर शोध शुरू किया है। शोध कुंभ में आने वाले आम व खास के आर्थिक और सामाजिक स्तर को ध्यान में रखकर किया जाएगा। शोधार्थी जानने का प्रयास करेंगे कि एक आम श्रद्धालु कुंभ में आने के लिए कितने पैसे खर्च करता है। उसका सामाजिक और आर्थिक स्तर क्या है। इसके अलावा वित्त, मार्केटिंग, सूचना, मानव संसाधन और उद्यम पर भी शोध होगा।
एमएनएनआइटी ने 100 शिक्षकों और शोधार्थियों की टीम गठित की है। टीम फरवरी के प्रथम सप्ताह से कुंभ क्षेत्र में उतरेगी। दुनिया का सबसे बड़ा मेला, 1200 करोड़ बजट, 10 करोड़ की अनुमानित भीड़, कड़ाके की सर्दी में करोड़ों लोगों के रहने, भोजन व सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था। यही कारण है कि एमएनएनआइटी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने 25 सौ श्रद्धालुओं, संतों और व्यापारियों के ऊपर शोध करने का फैसला किया है।
एमएनएनआइटी में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तनुज नंदन कहते हैं कि दुनिया भर के प्रबंधन विशेषज्ञ कुंभ के आयोजन से काफी कुछ सीख सकते हैं। कुंभ में आने वाली प्रमुख हस्तियों को सुरक्षा देना, करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ को मैनेज करना, रहने के लिए एक नया नगर बसाना वाकई काबिले तारीफ है। यही कारण है कि हॉवर्ड, ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों के शोध छात्र यहां कुंभ पर शोध करने आए हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन अग्रवाल के अनुसार शोध में साधु और संत भी शामिल होंगे।