मिशन 2014: राहुल से आगे निकले मोदी

ऐसा कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री पद की रेस में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर शुरुआती बढ़त बना ली है। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में अपने भाषण में मोदी पूरी रौ में दिखे। वह न तो भगवा रंग में रंगे थे और न ही विपक्ष पर सीधा हमला बोला, बल्कि युवा छात्रों से सीधा संवाद करते हुए उनसे विकास, उम्मीदों और सपनों की बात की। अपने भाषण में वह मैनेजमेंट गुरु की तरह छात्रों को ज्ञान देते नजर आए और बीच-बीच में उन्हें राजनीति से भी जोड़ते रहे। पहले राउंड में मोदी ने युवाओं के बीच गुजरात के साथ-साथ अपनी जबरदस्त ब्रांडिंग की। अब बारी कांग्रेस के युवराज की है। देखना यह है कि वह मोदी का कैसे जवाब देते हैं।

लगभग एक घंटे के अपने भाषण में मोदी ने युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का भरपूर प्रयास किया और बहुत हद तक उसमें सफल भी रहे। मोदी वहां मौजूद लोगों को यह समझाने में कामयाब रहे कि देश के युवाओं के सपनों को पूरा करने की उनमें क्षमता है। मोदी ने यह कहने की कोशिश की कि उनका एकमात्र लक्ष्य विकास है और गुजरात के विकास मॉडल को वह पूरे देश में फलते-फूलते देखना चाहते हैं।

चुटीले अंदाजों और किस्से-कहानियों से सराबोर उनके भाषण में यह आभास मिला कि वह विरोधियों की परवाह किए बगैर देश की 60 फीसद युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने की चाहत रखते हैं।

वाइब्रेंट गुजरात का जिक्र करते हुए वह यह बताना नहीं भूले कि उनके प्रयास से ही देश को 20 फीसद जीडीपी देने वाले औद्योगिक घरानों को वह गुजरात में निवेश कराने में सफल रहे।

ऑनलाइन वोटिंग के जरिये व्याख्यान देने के लिए चुने गए गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमें स्वराज मिले छह दशक बीत चुके हैं लेकिन आज भी देश सुराज तलाश रहा है। मौजूदा देश निराशा के गर्त में डूबता नजर आ रहा है। उन्होंने पानी के गिलास को हाथ में उठाकर कहा, आशावादी लोग इस गिलास को देखकर कहेंगे कि आधा पानी से भरा है, निराशावादी कहेंगे आधा खाली है लेकिन मेरा मानना है यह गिलास भरा है..आधा पानी से और आधी हवा से। क्योंकि मैं कुछ अलग सोचता हूं।

अपने भाषणों से लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में माहिर माने जाने वाले मोदी ने जहां इस बात का जिक्र किया कि दिल्ली वाले चाय की प्याली पीते हैं उसमें गुजरात का दूध है वहीं वह यह कहने से नहीं चूके कि पूरा देश गुजरात का नमक खाता चला आ रहा है। मोदी को अच्छी तरह पता है कि नमक खाने के मुहावरे को एक खास संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है। मोदी ने कहा कि जिस दिल्ली में मेट्रो पर आप गर्व करते हैं दरअसल, उसका पहला कोच गुजरात से बनकर आया था और गुजरात से ही मेट्रो कोच की सप्लाई हो रही है।

मोदी ने कहा कि यूरोप वाले गुजरात की भिंडी खाते हैं, अफगानिस्तान में गुजराती टमाटर ही लोग खाते हैं। उन्होंने कहा कि बचपन में हम हर तरफ ‘मेड इन जापान’ ही सुनते थे। क्यों न ऐसा किया जाए कि दुनिया में ‘मेड इन इंडिया’ का ढोल पीट दें। मुझे जापान जाने का मौका मिला था। ओलंपिक से काफी समय पहले उसने जिस तरह की ब्रांडिंग की, वह अद्भुत थी। जब दक्षिण कोरिया ने ओलंपिक के खेलों का आयोजन किया तो पूरी दुनिया की आंखें चकाचौंध हो गई थीं। आज इसी तरह के ब्रांडिंग की जरूरत है। कॉमनवेल्थ गेम्स में हमारे पास मौका था, लेकिन हमने क्या किया, वह जगजाहिर है। मोदी ने कहा कि वाइब्रेंट गुजरात में ब्रांडिंग का ही कमाल था कि 10 दिनों की कड़ी मेहनत करके हमने ऐसा कार्यक्रम किया, जिसमें 121 मुल्कों के प्रतिनिधि एक ही छत के नीचे मौजूद थे।

मोदी ने अपनी ताइवान यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वहां एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि क्या भारत अभी भी सपेरों का देश है, मेरा जवाब था कि भारत ‘स्नेक चार्मर्स’ के देश से अब माउस ‘चार्मर्स’ के देश में बदल चुका है।

मोदी ने कहा कि आज युवा वर्ग को राजनीतिक दल महज न्यू एज वोटर मानते हैं। यही स्थिति रही तो माहौल नहीं बदलेगा। मैं कुछ दूसरा सोचता हूं कि हमारा युवा न्यू एज वोटर नहीं न्यू एज पावर है और हम इसी पावर की बदौलत हम फिर से दुनिया में ‘विश्व गुरु’ के रूप में स्थापित होंगे।

पदोन्नति के बाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने और अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार राहुल गांधी गुरुवार से अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दौरे पर हैं। कई मौकों पर वह भी युवाओं से मुखातिब होते रहे हैं और पार्टी के अंदर भी युवाओं को तरजीह देने की बात करते हैं लेकिन श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में मोदी के ओजस्वी भाषण के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या राहुल गांधी भी उनकी बराबरी करने के लिए कुछ इसी तरह से युवाओं को संबोधित करते नजर आएंगे? लेकिन जानकारों का मानना है कि मोदी ने जो शुरुआती बढ़त बनाई है, उसके पीछे उनका 12 साल का काम हैं जबकि राहुल खुद अपने संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं को संतुष्ट नहीं कर सके हैं।

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