‘क्रांति’ के लिए चाहिए एक करोड़ लोग

नई दिल्ली। योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के लिए कम से कम एक करोड़ लोगों का सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि बिना एक करोड़ लोगों के देश में क्रांति संभव नहीं है।

बताया जा रहा है कि टीम अन्ना के अनशन पर अपरान्ह साढ़े तीन बजे बाबा रामदेव पहुंच रहे हैं। यह भी माना जा राह है कि अन्ना के अनशन में भीड़ जुटाने के मकसद से रामदेव आ रहे हैं।

शुक्रवार को टीम अन्ना के अनशन का तीसरा दिन है, लेकिन इस बार अनशन का रंग कुछ फीका सा नजर आ रहा है। आदोलन में पहले दिन भी लोग उम्मीद से कम थे और दूसरे दिन भी लोग अनशनस्थल से नदारद ही रहे। बाबा रामदेव और टीम अन्ना के मुख्य सदस्य अरविंद केजरीवाल भी बृहस्पतिवार को आंदोलन से दूर रहे। इसलिए आंदोलन भीड़ जुटाने में असमर्थ रही। वहीं, टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसौदिया की तबीयत खराब चल रही है, डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की स लाह दी है।

सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को रामदेव आंदोलन में शामिल होने आ सकते हैं। उनके आने को लेकर यह उम्मीद जताई जा रही है कि शायद पिछली बार की तरह इस बार भी अनशन स्थल पर वहीं भीड़ देखने को मिलेगी। इससे यह बात तो साफ होती है कि आखिर टीम अन्ना को बाबा रामदेव के समर्थन की जरूरत पड़ ही गई।

ऐसे में यह सवाल सामने आता है कि आखिर टीम अन्ना को लोगों का समर्थन जुटाने के लिए किसी और की जरूरत क्यों पड़ गई। भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहिम टीम अन्ना ने छेड़ी थी वह कहीं न कहीं अब बदलती नजर आ रही है। लोगों का मानना है कि अब टीम अन्ना का एजेंडा ही बदल गया है। इन दिनों टीम अन्ना खुद ही विवादों में घिरी हुई रहती है। ऐसे में लोकपाल बिल व भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर कायम रहकर आंदोलन जारी रखना टीम अन्ना के लिए कठिन है। यह मतभेद अनशन के मकसद को लेकर है। टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण और खुद अन्ना हजारे की इस मामले में अलग-अलग राय है।

प्रशात भूषण ने कहा है कि यह अनशन केंद्र के भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ जांच और आरोपी सासदों के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के लिए है। प्रशांत जब मंच से यह बात कह ही रहे थे कि अन्ना ने उनसे माइक लेकर ऐलान किया कि अनशन का मकसद भ्रष्टाचार से परेशान आम लोगों को राहत देने के लिए मजबूत लोकपाल लाना है।

गौरतलब है कि बुधवार को अनशन के पहले ही दिन आदोलन में ऊहापोह, असमंजस और अस्पष्टता भी खुल कर दिखाई दी। जहा पूरी टीम भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ एसआइटी की माग करती रही। वहीं, अन्ना आदोलन की तीनों प्रमुख मागों पर पूरी तरह चुप्पी साधे रहे। इसकी बजाय वे लोकपाल का ही राग अलापते रहे। इसी तरह राष्ट्रपति पर हमले को लेकर भी असमंजस रहा। केजरीवाल और भूषण ने उन पर जमकर कीचड़ उछाला तो वहीं अनशन स्थल पर भ्रष्ट मंत्रियों की तस्वीरों में मुखर्जी की तस्वीर ढक दी गई।

लोकपाल की माग को लेकर इस ऊहापोह के बारे में पूछने पर अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि आदोलन अब भी जन लोकपाल के लिए ही है। मगर हमने ज्यादा व्यवहारिक होते हुए अपनी मागें ऐसी रखी हैं। जब तक मंत्री भ्रष्ट होंगे, पार्टियों के अध्यक्षों की गर्दन सीबीआइ के फंदे में फंसी होगी और संसद में दागी बैठे रहेंगे, यह कानून पास नहीं हो सकता। इसलिए हमने पहले एसआइटी गठित कर इनके आरोपों की जाच करने और फास्ट ट्रैक अदालतें बनाकर सुनवाई करने की माग रखी है।

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