यूपी बजट: अब काम पर जोर

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लखनऊ,(नदीम)। यह बजट बताता है कि अपने 11 महीने के शासन से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह सबक मिला है कि लोकलुभावन घोषणाओं से चुनाव तो जीते जा सकते हैं, लेकिन उनके जरिए सूबे में बदलाव का एहसास नहीं कराया जा सकता है। शायद यही वजह कि उन्होंने मंगलवार को विधानसभा में अपनी सरकार का जो दूसरा बजट पेश किया, वह उनके पहले बजट से कतई इतर है। उन्होंने पिछले साल की लोकलुभावन घोषणाओं के लिए बजट तो बरकरार रखा, लेकिन इस साल उन्होंने ऐसी कोई नई घोषणा करने से परहेज किया। इस साल का बजट नए तोहफे बांटने से हटकर अवस्थापना सुविधाओं से लेकर तमाम ऐसी योजनाओं पर केंद्रित है, जिसका लाभ सामूहिकता में मिले और जिसके जरिए बदलाव का एहसास भी हो। यूथ एजेंडा इस बार भी बरकरार है-लड़कियों के लिए अगर उन्होंने डिग्री तक मुफ्त शिक्षा का एलान किया है तो 36 जिलों में सहशिक्षा वाले राजकीय डिग्री कॉलेज खोलने की बात कही है। दो नए विश्वविद्यालय भी खोले जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि इस बार के बजट में गांवों के साथ-साथ शहरों पर खास ध्यान दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि इसकी वजह राजनीतिक ही होगी। दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त नया यूपी बनाने के नारे के साथ फतह हासिल करने निकले अखिलेश यादव के हक में जो बात गई थी वह यह थी कि जनता की कसौटी पर अखिलेश की नहीं, बल्कि मायावती सरकार के कामकाज थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के वक्त स्थिति बदली हुई होगी। खुद अखिलेश सरकार जनता की कसौटी पर होगी और मुख्यमंत्री के सामने यह चुनौती होगी, वह उस पर कामयाब होकर दिखाएं। इसलिए चुनाव तक ऐसा कुछ करना होगा, जिससे उनकी सरकार काम करती दिखे।

बदलाव भी हो और दिखे भी अखिलेश यादव ने पिछले साल जब सदन में अपना भाषण पढ़ रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि वह अपना चुनावी घोषणा पत्र पढ़ रहे हैं। लैपटाप, बेरोजगारी भत्ता, कन्या विद्याधन.., लेकिन इससे कोई बदलाव नहीं दिखा। इन योजनाओं के जरिए जितने लोग लाभान्वित हुए (जिन योजनाओं का अब तक क्रियान्वयन हुआ है), उससे कहीं ज्यादा लोग योजना का लाभ न पा पाने पर नाराज हो गए। यही वह वजह रही जिसने अखिलेश सरकार को तोहफे वाली कोई नई योजना शुरू करने से परहेज किया। उनके बजाय ऐसी योजनाओं को बजट का हिस्सा बनाया गया, जिससे हकीकत में सूबे में बदलाव हो और आम लोगों को काम होता दिखे भी। उसी का नतीजा है कि प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर 259 पुलों के लिए 4500 करोड़ रुपये बजट में शामिल किए गए। चार नए राज्य राजमार्ग दिल्ली-सहारनपुर-यमनोत्री, बरेली-अल्मोड़ा, वाराणसी-शक्तिनगर, मेरठ- करनाल राजमार्ग बनाए जाएंगे। आगरा से लखनऊ तक नए आठ लेन का एक्सप्रेस वे के निर्माण को भी बजट का हिस्सा बनाया गया। शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ, गोरखपुर-महाराजगंज, बलरामपुर-गोंडा-जरवल, अलीगढ़-मथुरा, एटा-शिकोहाबाद, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर वाया देवबंद मार्ग को निजी सहभागिता से चार लेन किया जाएगा। दो सौ करोड़ की लागत से रामपुर में दो फ्लाईओवर बनाने की बात कही गई है। लखनऊ में भी दो फ्लाईओवर बनेंगे। सभी जिला मुख्यालयों को को चार लेन सड़कों से जोड़ने की योजना के तहत कसया से देवरिया, कासगंज से एटा, कालपी से हमीरपुर, मुरादाबाद से सम्भल को शामिल किया गया है। गाजियाबाद में यातायात दबाव कम करने को 20 किमी लंबी नार्दन फेरीफरेल रोड परियोजना (आउटर रिंग रोड) शुरू होगी। फैजाबाद में गोमती नदी पर पुल बनेगा तो गोरखपुर में रेलवे ओवर ब्रिज बनाया जाएगा।

शहरी क्षेत्र की राजनीति

शहरी क्षेत्र समाजवादी पार्टी की कमजोर कड़ी रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं, भाजपा के कमजोर होने की स्थिति में शहरी वोटर कांग्रेस के साथ चला गया था, लेकिन सपा के साथ जाने से उसने गुरेज किया था। विधानसभा के आम चुनाव में शहरी क्षेत्रों बढ़ती तो दिखी, लेकिन निकाय चुनाव में भाजपा फिर तनी हुई दिखी। चेहरा बचाने को सपा का यह तर्क हो सकता है कि निकाय चुनाव में तो वह उतरी ही नहीं थी, लेकिन उसे इस सच्चाई का अहसास है कि शहरी वोटरों का भरोसा जीतना बहुत जरूरी है, तभी विधानसभा चुनाव जैसे अप्रत्याशित नतीजे लोकसभा चुनाव में आ सकते हैं। उसकी यह कोशिश बजट में साफ दिख भी रही है, शहरों के लिए दिल खोल कर किया गया है। लखनऊ में मैट्रो ट्रेन को अगर मंजूरी दी गई है तो आगरा की पेयजल आपूर्ति के लिए 300 करोड़ रुपये और कानपुर शहर में एक रेलवे ओवर ब्रिज बनाने के लिए 45 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। दूसरे शहरों की अवस्थापना सुविधाएं बढ़ाने को कोई कंजूसी नहीं की गई। 250 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। सीवरेज, जलापूर्ति, ड्रेनेज, नगरीय परिवहन, कचरे के प्रबंधन लिए भी लगभग एक हजार करोड़ बजट में डाले गए हैं।

यूथ एजेंडा

अखिलेश यादव की जीत में पिछले साल यूथ फैक्टर का अहम रोल था। कंप्यूटर-लैपटाप, कन्या विद्याधन से लेकर बेरोजगारी भत्ता की घोषणाओं ने युवाओं को सपा के पक्ष में मतदान केंद्रों पर कतारबद्ध कर दिया था। इस बार भी अखिलेश अपने यूथ एजेंडे पर कायम हैं, जो पहले से कहीं ज्यादा युवाओं के भविष्य को संवारने वाला है और यूपी के लिए नई इबारत लिख सकता है। लड़कियों को स्नातक तक मुफ्त शिक्षा और 36 जिलों में नए डिग्री कालेज के साथ-साथ इलाहाबाद और सिद्धार्थनगर में दो नए विश्‌र्र्वविद्यालय खोले जा रहे हैं। आजमगढ़ में कृषि महाविद्यालय खोला जाएगा।

और बने हवा

इसे लोस चुनाव का ही असर माना जाएगा, उन सेक्टरों को खास फोकस किया गया है जो सरकार की हवा बनाते-बिगाड़ते हैं। सरकारी अस्पतालों में इलाज की बेहतर इंतजाम करने को पिछले साल के बजट में 12 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है। अनुसूचित जाति, पिछड़ा, अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग के गरीबों के कल्याण योजनाओं का भी बजट बढ़ाया गया है। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए बजट में अलग से व्यवस्था की गई है।

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