दो दिन की हड़ताल से होगा बीस हजार करोड़ का नुकसान

national-trade-unions-call-for-strike-to-protest-inflation-fuel-prices 2013-2-20

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश के प्रमुख मजदूर संगठनों को मनाने की केंद्र सरकार की कोशिश नाकाम हुई है। बुधवार से दो दिनों की देशव्यापी हड़ताल की वजह से देश में वित्तीय लेनदेन और सरकार के काम काज पर व्यापक असर पड़ने के आसार हैं। उद्योग चैंबर एसोचैम ने कहा है कि दो दिनों की हड़ताल से अर्थंव्यवस्था को 15 से 20 हजार करोड़ रुपये की चपत लगेगी।

केंद्र सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए बैंकों को निर्देश दिया है कि वह सामान्य कामकाज प्रभावित होने की सूरत में एटीएम में पर्याप्त राशि रखें ताकि ग्राहकों को कुछ राहत मिले। सरकार की तरफ से मंगलवार को फिर बैंककर्मियों से यह आग्रह किया गया कि वे हड़ताल पर न जाएं। लेकिन सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों के साथ ही रिजर्व बैंक के कर्मचारियों के संगठन ने भी दो दिवसीय हड़ताल में शामिल होने की घोषणा कर दी है। इससे वित्तीय लेनदेन पर और ज्यादा असर पड़ने के आसार हैं।

एसोचैम ने कहा है कि यह हड़ताल उस समय हो रही है, जब अर्थंव्यवस्था पूरी तरह से मंदी की चपेट में है। मैन्यूफैक्चरिंग के साथ ही सर्विस क्षेत्र में भी गिरावट हो रही है। प्रस्तावित हड़ताल से बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा सहित औद्योगिक तौर पर देश के लिए महत्वपूर्ण समझे जाने वाले राज्यों में जनजीवन के प्रभावित होने का काफी बुरा असर होगा।

एसोचैम का कहना है कि इस तरह की बड़ी हड़ताल सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के 30 से 40 फीसद हिस्से पर असर डालते हैं। इस हिसाब से उसने दो दिनों में 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही है। साथ ही समय पर आपूर्ति नहीं होने से कई रोजमर्रा और औद्योगिक चीजों की कीमतों में वृद्धि भी हो सकती है।

हड़ताल के संभावित असर

1. बैंकों में नहीं हो सकेगी चेक क्लीयरिंग, एटीएम पर होगी भीड़

2. ढुलाई नहीं होने से समय पर नहीं होगी खाद्यान्न व अन्य सामानों की आपूर्ति

3. एलआइसी का कारोबार प्रभावित, अभी सबसे ज्यादा बिकती हैं पॉलिसियां

4. कोयला खदानों में काम होगा प्रभावित, बिजली संयंत्रों की मुश्किल बढ़ेगी

5. सरकारी परिवहन विभाग में हड़ताल से आवागमन पर भी पड़ेगा असर

बंगाल में हड़ताल पर ममता व वामपंथी आमने-सामने

कोलकाता [जागरण ब्यूरो]। वामपंथी समर्थित 11 श्रमिक संगठनों द्वारा बुधवार व गुरुवार को आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल को लेकर बंगाल में तलवारें खिंच गई हैं। एक ओर जहां बंद को सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियनों के नेता, कार्यकर्ता व समर्थक जी जान से जुटे हैं, वहीं बंगाल सरकार हड़ताल को विफल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। दोनों दिन कर्मचारियों का दफ्तर आना अनिवार्य कर दिया गया है। नहीं तो दो दिन का वेतन व नौकरी की मियाद में दो दिन कम कर दिया जाएगा।

इस बाबत सरकार की ओर से विज्ञप्ति भी जारी कर दी गई है। ऐसे में बुधवार को बंद को लेकर पुलिस प्रशासन के साथ हड़तालियों के टकराव की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, बंगाल में इस आम हड़ताल का असर एक ही दिन दिखेगा। क्योंकि, बांग्ला भाषा दिवस की वजह से 21 की हड़ताल को औद्योगिक बंद का रूप दे दिया गया है। इस दिन शिक्षण प्रतिष्ठानों व परिवहन को हड़ताल से मुक्त रखा गया है। दोनों दिन आपात सेवाओं को हड़ताल मुक्त रखा गया है।

मंगलवार को व्यवसायियों के टास्क फोर्स के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक की। जिसमें उन्होंने दो दिन दुकानों के बंद रहने पर कड़े कदम उठाने की चेतावनी दी।

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