असम के हिंसाग्रस्त जिलों के दौरे पर पीएम-सोनिया

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी शनिवार को असम के जातीय संघर्ष से प्रभावित जिलों का दौरा करने के लिए गुवाहाटी पहुंचे। प्रधानमंत्री हिंसाग्रस्त इलाके कोकराझाड़, दुराबारी व चिरांग समेत कई बोडोलैंड के जिलों का दौरा करेंगे। यहां पर पिछले कुछ दिनों से बोडो और बंगाली भाषी मुस्लिमों के बीच हिंसा छिड़ी हुई है। प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी प्रभावित इलाकों में जाकर राहत शिविरों का जायजा भी लेंगे। इस दौरे पर उनके साथ राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी होंगे। प्रधानमंत्री असम से ही राज्यसभा के सदस्य हैं।

दूसरी ओर, असम में हिंसा के लिए भाजपा ने सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री तरुण गोगोई सेइस्तीफे की माग की है। भाजपा महासचिव विजय गोयल ने असम दौरे से लौटने के बाद कहा कि राज्य की स्थिति बहुत खराब है। इस हालत के लिए राज्य और केंद्र सरकार जिम्मेदार है। ऐसे में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसा में अभी तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है।

विजय गोयल ने आरोप लगाया कि राज्य में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण स्थिति खराब हुई है, लेकिन वर्तमान स्थिति को संभाला जा सकता था। अब सेना और अ‌र्द्धसैनिक बल तो पहुंच गए हैं, लेकिन वह भी राज्य के अंदरूनी हिस्सों में नहीं गए हैं। गोयल ने कहा, गोगोई पूरी तरह विफल रहे हैं। लिहाजा उन्हें तत्काल हटाया जाना चाहिए।

असम में विजय गोयल ने पीड़ितों से मिलकर हालात का जायजा लिया और सभी से शाति बनाए रखने की अपील भी की। उन्होंने बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जल्द ही असम का दौरा करेंगे।

उन्होंने बताया कि असम के लगभग तीन लाख लोग कैंप में हैं लेकिन वहा खाने-पीने, सोने और दवा की व्यवस्था नहीं है। सेना फ्लैगमार्च कर रही है, लेकिन उनकी संख्या कम है। उन्होंने शांति बहाली के लिए राज्य में सैनिकों की संख्या बढ़ाने की मांग भी की।

वहीं, गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने अपने बयान से केंद्र को भड़का दिया था। उन्होंने कहा था कि यदि केंद्र समय पर सुरक्षा बल मुहैया करा देता तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। इसका केंद्र ने खंडन करते हुए कहा था कि उन्होंने राज्य से हिंसा की सूचना मिलते ही सुरक्षा बल रवाना कर दिए थे और वे असम पहुंच गए थे।

गोगोई ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुझे कोई भी खुफिया रिपोर्ट नहीं दी। मुझे कोई खबर नहीं थी कि इन क्षेत्रों में हालात इतने बिगड़ सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी शभू सिंह ने भी माना कि सेना की तैनाती में देरी से स्थिति बिगड़ गई। उनके मुताबिक प्रक्रियागत कारणों से इसमें विलंब हुई।

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