गलत था राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी देने का फैसला

wrong-decision-exjustice-thomas 2013-2-24

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी देने के को लेकर अब बयानबाजी शुरू हो गई है। जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई पर इस मामले के सभी दोषियों की फांसी की सजा पर अमल करने पर छह सप्ताह तक रोक लगा दी है, वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के बेंच के अध्यक्ष रहे जस्टिस केटी थॉमस ने भी इसको संवैधानिक रूप से गलत करार दिया है। उन्होंने माना कि 13 वर्ष पहले उन्होंने इस मामले में उनका दिया गया फैसला गलत था।

थॉमस ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी देना संवैधानिक रूप से अलग होगा। करीब 13 साल पहले जस्टिस थॉमस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने ही इस हत्या के लिए नलिनी, मुरुगन , संतन और पेरारीवलन को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में सोनिया गांधी की अपील के बाद अप्रैल 2000 में नलिनी की फांसी की सजा को आजीवन उम्रकैद में बदल दिया गया था।

उन्होंने माना कि इस मामले में दिया गया फैसला गलत था। उन्होंने इस हत्या के दोषी ठहराए गए तीनों दोषियों की फांसी को संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन बताया है। इतना ही नहीं उन्होंने इस मामले पर दोबारा विचार करने की बात कहकर समूची न्याय प्रणाली पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

पूर्व जस्टिस थॉमस ने कहा कि जिस वक्त यह मामला उनकी अदालत में आया था उस वक्त मामले के नेचर और कैरक्टर पर विचार नहीं किया गया था। बाद में जस्टिस एसपी सिन्हा की बेंच ने उनका ध्यान इस ओर खींचा। गौरतलब है कि इस मामले के आरोपी करीब 22 साल से जेल में हैं।

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