लखनऊ में बंधुआ मजदूर बने बिहार के नौ बच्चे

majdoorलखनऊ/सआदतगंज में लकडमंडी की एक चूड़ी फैक्ट्री में नौ बच्चों को बंधक बनाकर मजदूरी कराई जा रही थी। रविवार दोपहर पुलिस व एंटी हृयूमन ट्रैफिकिंग की टीम ने चूड़ी फैक्ट्री में छापा मारकर बच्चों को मुक्त कराया। पुलिस ने फैक्ट्री मालकिन को भी दबोच लिया।
फैक्ट्री मालकिन के पास से 5.02 लाख रुपए नगद बरामद हुए हैं। पुलिस ने बाल कल्याण समिति के आदेश पर बच्चों का मेडिकल कराकर उन्हें राजकीय बाल गृह भेज दिया है।

सआदतगंज थाने के दरोगा रंजीत प्रसाद दिवाकर के मुताबिक रविवार सुबह स्थानीय नागरिकों ने कंट्रोल रूम को फोन करके लकडमंडी के कुबड़े बाबा मंदिर स्थित एक चूड़ी फैक्ट्री में बच्चों को बंधक बनाकर काम कराने की सूचना दी। इसके बाद एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के हेड कांस्टेबल मनमोहर लाल व पुलिस टीम ने चूड़ी फैक्ट्री में छापा मारा।

पुलिस को देख फैक्ट्री मालकिन व अन्य कर्मचारी भागने लगे। पुलिस ने फैक्ट्री मालकिन अनवरी को दबोच लिया। पुलिस अनवरी के पति परवेज की तलाश कर रही है। कार्रवाई के दौरान पुलिस को फैक्ट्री मालकिन के पास से 5.02 लाख रुपए नगद भी मिले हैं।

पुलिस ने फैक्ट्री में बंधक बनाए गए नौ बच्चों को भी मुक्त कराया है। सभी बच्चों की उम्र 10 से 12 वर्ष के बीच है। पुलिस की सूचना पर चाइल्डलाइन, श्रम विभाग के अधिकारी भी आ गए। सभी बच्चों का मेडिकल परीक्षण कराने के बाद उन्हें मोहन रोड स्थित राजकीय बाल गृह भेज दिया गया है। पुलिस ने फैक्ट्री मालकिन पर जेजे एक्ट के तहत कार्रवाई की है।

बिहार से तस्करी कर लाए गए बच्चे 
फैक्ट्री में मिले बच्चे बिहार से तस्करी कर लाए गए थे। यह सभी बच्चे बिहार के नालंदा, गया व नेवादा के रहने वाले हैं। पुलिस ने बताया कि जानकारी मिली है कि रुपए कमाने का लालच दिलाकर स्थानीय गिरोह गरीब परिवार के बच्चों को बहला-फुसलाकर ले आते हैं। फिर उन्हें औने-पौने दाम में फैक्ट्री मालिकों को बेच देते हैं।

फैक्ट्री से छूटे बच्चों ने बताया कि उनसे जबरन काम करवाया जाता था। कभी फैक्ट्री से बाहर नहीं निकलने दिया जाता। केवल दोनों समय भोजन व कपड़े दिए जाते थे। पुलिस बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोहों की छानबीन में जुटी है।

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